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कनाडा क्यों कम कर रहा है भारतीय स्टाफ की संख्या, आखिर क्या है इसके पीछे वजह?

दरअसल, भारत और कनाडा के बीच विवाद पिछले साल जून में तब शुरू हुआ था जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने वैंकूवर में हरदीप निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ होने का आरोप लगाया था। भारत ने इस आरोप का मुंहतोड़ जवाब दिया था।

कनाडा ने भारत में मौजूद अपने दूतावासों और अन्य दफ्तरों से कर्मचारियों की संख्या कम करनी शुरू कर दी है। / @Pascal

भारत और कनाडा के संबंध अभी पूरी तरह से पटरी लौटे भी नहीं हैं कि इस बीच खबर आई है कि कनाडा ने भारत में मौजूद अपने दूतावासों और अन्य दफ्तरों से कर्मचारियों की संख्या कम करनी शुरू कर दी है। हालांकि कनाडा ने कितने भारतीय स्टाफ की छंटनी की है, इसकी संख्या सामने नहीं आई हैं। हालांकि, ये 100 से कम बताई जा रही है।

बताया गया है कि कनाडा ने कर्मियों में कमी का हवाला देते हुए देश में अपने राजनयिक मिशनों से अपने भारतीय कर्मचारियों को कम कर दिया है। पिछले साल, भारत ने राजनयिक समानता सुनिश्चित करने के लिए 41 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था। इसके बाद कनाडा को अपने मुंबई, चंडीगढ़ और बेंगलुरु वाणिज्य दूतावासों को व्यक्तिगत संचालन के लिए बंद करना पड़ा था।रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्चायोग ने पिछले साल कनाडाई कर्मियों के जाने के बाद कर्मचारियों की कटौती को एक खेदजनक जरूरत के रूप में स्वीकार किया।

दरअसल, भारत और कनाडा के बीच विवाद पिछले साल जून में तब शुरू हुआ था जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने वैंकूवर में आतंकवादी हरदीप निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ होने का आरोप लगाया था। भारत ने इस आरोप का मुंहतोड़ जवाब दिया था। भारत ने कनाडा के राजनयिकों पर उसके आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया था।

हालांकि तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद कनाडा ने बार-बार भारतीय नागरिकों के साथ अपने मजबूत संबंधों पर हवाला देता रहा है। यात्राओं, कार्य, अध्ययन या स्थायी निवास के लिए उनका स्वागत जारी रखने का संकल्प लिया है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कनाडा के वाणिज्य दूतावास सेवाओं को बंद करने से भारत आश्चर्यचकित था, क्योंकि राजनयिकों के निष्कासन का उद्देश्य केवल दिल्ली और ओटावा में संबंधित उच्चायोगों में राजनयिक समानता हासिल करना था।

लेकिन हाल ही में कनाडा के पीएम ट्रूडो ने कनाडा के मामलों में विदेशी हस्तक्षेप के आरोपों की जांच करने वाली समिति के समक्ष एक गवाही के दौरान निज्जर मुद्दे को फिर से दोहराया। उन्होंने कनाडा के लोगों की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई और भारत के साथ कनाडा की पिछली सरकार के घनिष्ठ संबंधों की आलोचना की।

उन्होंने कहा कि सिद्धांत है कि जो कोई भी दुनिया में कहीं से भी कनाडा आता है, उसके पास एक कनाडाई की तरह सभी अधिकार हैं। वह जबरन वसूली, जबरदस्ती और उस देश के हस्तक्षेप से मुक्त हो जिसे उन्होंने पीछे छोड़ दिया था। हम कनाडाई लोगों के लिए खड़े हैं, जिसमें बहुत ही गंभीर मामला भी शामिल है जिसे मैंने (हरदीप सिंह) निज्जर की हत्या के मामले में संसद में आगे बढ़ाया। यह कनाडा के लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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