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भारतवंशी अश्विन रामास्वामी रचेंगे जॉर्जिया सीनेट में इतिहास? जानें क्या कहती है रिपोर्ट

24 वर्षीय अश्विन रामास्वामी का मुकाबला अब जॉर्जिया से सीनेट के लिए रिपब्लिकन नेता शॉन स्टिल से होगा। अगर अश्विन जीते तो वह जॉर्जिया से सीनेट पहुंचने वाले न सिर्फ पहले भारतीय-अमेरिकी होंगे, बल्कि जॉर्जिया से सबसे कम उम्र के सांसद होने का खिताब भी अपने नाम कर लेंगे।

अश्विन रामास्वामी ने हाल ही में जॉर्जिया के 48वें जिले से डेमोक्रेटिक प्राइमरी में जीत हासिल की है। / x @ashwinforga

भारतीय मूल के अश्विन रामास्वामी ने हाल ही में जॉर्जिया के 48वें जिले से डेमोक्रेटिक प्राइमरी में जीत हासिल करके सबको चौंका दिया था। अब जॉर्जिया से सीनेट के लिए उनका मुकाबला रिपब्लिकन नेता शॉन स्टिल से होगा। अगर अश्विन जीते तो वह जॉर्जिया से सीनेट पहुंचने वाले न सिर्फ पहले भारतीय-अमेरिकी होंगे, बल्कि जॉर्जिया से सबसे कम उम्र के सांसद होने का खिताब भी अपने नाम कर लेंगे। उनकी इस कामयाबी को यूएसए टुडे ने फीचर किया है। 

24 वर्षीय अश्विन रामास्वामी के जॉर्जिया स्टेट सीनेट के लिए कैंपेन ने राष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। जॉर्जिया के 48वें जिले की सीनेट सीट सबसे उथल पुथल वाली सीट रही है। इस चुनाव में उनके प्रतिद्वंदी शॉन स्टिल को 2020 के चुनाव परिणामों में हेरफेर के प्रयास के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ दोषी ठहराया जा चुका है। 



अश्विन रामास्वामी ने अब एक्स पर यूएसए टुडे का लेख शेयर करते हुए लिखा कि जब ट्रम्प ने मेरे बॉस को नौकरी से निकाल दिया था, तो उन्हें पता नहीं था कि उन्होंने क्या गलती कर दी है। बस बहुत हो गया। अगर हमारे निर्वाचित नेता ईमानदारी और अखंडता के लिए खड़े नहीं होते हैं तो यह काम अब मैं करूंगा।

यूएसए टुडे ने लेख में लिखा है कि अश्विन रामास्वामी 2020 के आखिर में जब साइबर सिक्योरिटी एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी में इंटर्न थे, तब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उनके बॉस को नौकरी से निकाल दिया था। उनका दोष सिर्फ इतना था कि उन्होंने चुनाव में वोटर फ्रॉड के ट्रम्प के दावों का सार्वजनिक रूप से चुनौती दी थी। 

जॉर्जिया यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर चार्ल्स एस बुलॉक कहते हैं कि 2020 के चुनाव के बाद 48वें जिले का खाका फिर से खींचा गया था। तभी से वह रिपब्लिकन के फेवर वाला जिला बना हुआ है। 2022 के मध्यावधि चुनावों में शॉन स्टिल ने डेमोक्रेट प्रत्याशी से 13 फीसदी ज्यादा मतों से जीत दर्ज की थी। ऐसे में अश्विन रामास्वामी की राह आसान नहीं है। 

हालांकि डेमोक्रेट्स को उम्मीद है कि अश्विन के जरिए वह इस बार जीत दर्ज करके नया इतिहास रच सकते हैं। उनकी उम्मीद की वजह पिछले कुछ वर्षों में इलाके में विविध समूहों के आकर बसने से जनसांख्यकीय आबादी में आया बदलाव है।  

बुलॉक उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जिले के सबसे दक्षिणी इलाके में डेमोक्रेटिक प्रत्याशी को वोट मिलते रहे हैं क्योंकि यहां पर भारतीय लोगों की आबादी बढ़ रही है। एक प्रमुख वजह ये भी है कि इलाके के कॉलेज में पढ़े लिखे वोटर इस बात को भुलाने को तैयार नहीं हैं कि 2020 के चुनाव में रिपब्लिकंस ने हेराफेरी नहीं की थी। बुलॉक ने आखिर में कहा कि कहने का मतलब ये है कि अश्विन रामास्वामी के पास नवंबर में एक अच्छा मौका है। 

 

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