ई-वीजा पोर्टल / X/@raymondopolis
अमेरिकी निवेशक रेमंड रसेल ने भारत के ई-वीजा पोर्टल को हास्यास्पद, परेशान करने वाला और शर्मनाक तरीके से खराब बताते हुए सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की। भारत में बिजनेस वीजा के लिए आवेदन करते समय उन्हें कई तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा। उनका कहना था कि वेबसाइट पुरानी लगती है, बार-बार लॉगआउट हो जाती है, प्रगति सेव नहीं होती और पेमेंट भी पहली बार में सफल नहीं होती।
रसेल ने X पर लिखा कि आवेदन के दौरान अचानक वेबसाइट पर भारतीय राज्यों की सबसे ऊंची चोटियों की सूची दिखने लगी। उन्होंने मजाकिया अंदाज में लिखा कि मैं बस आपके देश में निवेश करना चाहता हूं, माउंट एवरेस्ट ढूंढने नहीं! उन्होंने यह भी बताया कि फॉर्म में पिछले 10 साल में घूमे सभी देशों की सूची भरनी होती है लेकिन अधिकतम 20 देशों के ही नाम दर्ज किए जा सकते हैं। उनकी यह पोस्ट 24 घंटों में लगभग दस लाख बार देखी गई।
रसेल की पोस्ट पर कई भारतीय यूजर्स ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि अमेरिकी वीजा प्रक्रिया उससे कहीं ज्यादा कठिन, लंबी और थकाने वाली होती है। एक यूजर ने लिखा कि आपको यही महसूस होना चाहिए कि यही दर्द भारतीयों के साथ होता है जब वो यूएस, यूके या यूरोप के वीजा के लिए आवेदन करते हैं। दूसरे ने कहा कि अमेरिका का बिजनेस वीजा सिस्टम इससे भी ज्यादा पुराना और धीमा है।
कुछ भारतीयों ने लंबे इंटरव्यू इंतजार, पेपरवर्क और सुरक्षा जांच की कठिनाइयों का भी जिक्र किया। एक टिप्पणी में लिखा गया कि अगर असली परेशानी देखनी है, तो भारतीय बनकर यूएस वीजा के लिए आवेदन करो।
हालांकि कई भारतीयों ने रसेल की बात को सही ठहराया। उनका कहना था कि भारत की सरकारी वेबसाइटें अक्सर धीमी, तकनीकी रूप से कमजोर और डिजाइन के मामले में पिछड़ी हुई होती हैं। एक यूजर ने लिखा कि सरकारी वेबसाइट पर अच्छा अनुभव होना तो लगभग असंभव है। एक अन्य ने कहा कि अक्सर गैर-भारतीय कहें तब जाकर हमें अपनी डिजिटल कमियों का अंदाज होता है।
पुरानी शिकायतों की फिर याद आई
ट्रैवल फोरम और वीजा-संबंधी वेबसाइटों पर पहले भी भारत के ई-वीजा पोर्टल की तकनीकी दिक्कतों का जिक्र किया गया है। इनमें फाइल अपलोड के समय टाइमआउट, ब्राउजर न चलना, पेमेंट में दिक्कत और अचानक लॉगआउट जैसी समस्याएं आम बताई गई हैं। यह पोर्टल बिजनेस, मेडिकल, पर्यटन और कॉन्फ्रेंस वीजा के लिए बनाया गया था, ताकि विदेशी नागरिकों को आसानी हो। लेकिन इसकी तकनीकी खामियां इसे अक्सर अविश्वसनीय बना देती हैं।
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