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भारत-यूके डील से नए दौर की शुरुआत, अब EU और अमेरिका पर नजर

यूके संग फ्री ट्रेड डील से साफ हो गया है कि भारत अब अपने बाजारों को धीरे-धीरे खोलने की ओर बढ़ रहा है।

भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और साथ में ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर / Reuters

भारत और ब्रिटेन के बीच गुरुवार को हुए ऐतिहासिक व्यापार समझौते को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "साझा समृद्धि का खाका" बताया है। यह भारत का किसी विकसित देश के साथ सबसे बड़ा रणनीतिक व्यापार समझौता है। इस समझौते से साफ हो गया है कि भारत अब अपने बाजारों को धीरे-धीरे खोलने की ओर बढ़ रहा है, लेकिन जरूरी क्षेत्रों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाकर।

इस समझौते में क्या मिला 
भारत ने ब्रिटेन से आयातित गाड़ियों पर टैरिफ घटाने पर सहमति दी है। अभी इन पर 100% से ज्यादा टैक्स लगता है, जिसे 15 साल में घटाकर 10% किया जाएगा। हर साल आयात कोटे के तहत सीमित गाड़ियां आएंगी—पहले साल 10,000, फिर पांचवें साल तक 19,000। शराब, खासकर व्हिस्की, पर टैक्स कटौती भी धीरे-धीरे लागू होगी।

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सावधानी के साथ बढ़ाया कदम
भारत ने इस डील में अपनी "रेड लाइन" बरकरार रखी है। खेती से जुड़ी चीजों जैसे सेब, अखरोट, दूध और पनीर पर कोई रियायत नहीं दी गई। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, "खेती और डेयरी सेक्टर किसी भी डील में नहीं खोले जाएंगे, चाहे वह ईयू हो, ऑस्ट्रेलिया हो या अमेरिका।"

घरेलू उद्योगों को मिलेगा फायदा
 ब्रिटेन के 37.5 अरब डॉलर के कृषि बाजार में भारतीय किसानों की पहुंच बढ़ेगी। भारत से कपड़े, जूते, फर्नीचर, रत्न, ऑटो पार्ट्स, मशीनें और केमिकल्स पर ब्रिटेन अब कोई टैक्स नहीं लगाएगा। तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव एन. थिरुक्कुमरन ने कहा, "तीन साल में यूके को भारत के परिधान निर्यात दोगुने हो सकते हैं।"

अब अगला लक्ष्य
भारत अब यूरोपीय यूनियन (ईयू), अमेरिका और न्यूजीलैंड के साथ भी इसी तरह के समझौतों की तैयारी कर रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार कड़े टैरिफ के जरिए दबाव बनाकर ज्यादा रियायतें चाहती है। अमेरिका भारत से खेती और डेयरी सेक्टर को खोलने की मांग कर रहा है। लेकिन भारत इन क्षेत्रों में कोई छूट देने के पक्ष में नहीं है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "हमें उम्मीद है कि अमेरिका से भी विशेष और पसंदीदा व्यवहार वाला समझौता होगा।"

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