भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदीव को 565 मिलियन डॉलर (करीब 4700 करोड़ रुपये) की सहायता देने का ऐलान किया। यह सहायता रक्षा बलों को मजबूत करने और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए दी जा रही है। तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की यह मालदीव की पहली आधिकारिक यात्रा है। उन्होंने कहा, "भारत मालदीव का पहला मददगार बना रहेगा।" मोदी ने बताया कि हिन्द महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि दोनों देशों का साझा लक्ष्य है।
चीन की बढ़ती नजदीकी को लेकर भारत की चिंता
भारत मालदीव की राजनीति में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित रहा है, खासकर 2023 में राष्ट्रपति मुहम्मद मुइज्जूके चुनाव जीतने के बाद। मुइज्जूने चुनाव प्रचार के दौरान भारत विरोधी रुख अपनाया था। सत्ता में आने के बाद उन्होंने भारतीय सेना के उन जवानों को वापस बुलवाया, जो मालदीव में दो हेलिकॉप्टर और एक निगरानी विमान संचालित कर रहे थे।
हालांकि अब राष्ट्रपति मुइज्जूने भारत के खिलाफ बयानबाजी को कम किया है। उन्होंने पिछले साल दो बार पीएम मोदी से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रिश्तों में "नया अध्याय" शुरू करने की बात कही।
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पीएम मोदी द्वारा घोषित 565 मिलियन डॉलर की मदद का इस्तेमाल मालदीव अपनी सुरक्षा, स्वास्थ्य, आवास और शिक्षा के क्षेत्र में करेगा। इसके साथ ही मोदी ने भारत की सहायता से बनी सड़कों और 4 हजार घरों की योजना का उद्घाटन भी किया। राष्ट्रपति मुइज्जूने कहा, "भारत द्वारा आवश्यक वस्तुओं के निर्यात के रूप में मिल रही मदद हमारे रिश्तों की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।"
भारत-चीन के बीच बना रणनीतिक द्वीप
मालदीव हिन्द महासागर में एक रणनीतिक रूप से अहम देश है, जो करीब 1,192 छोटे-छोटे द्वीपों की एक श्रृंखला है। यह द्वीप पूर्व–पश्चिम वैश्विक शिपिंग रूट्स के बीच स्थित है, और यही कारण है कि यहां भारत और चीन दोनों की खास रुचि बनी हुई है।
भारत पारंपरिक रूप से मालदीव और श्रीलंका को अपने प्रभाव क्षेत्र का हिस्सा मानता रहा है। मालदीव के पास विदेशी मुद्रा की भारी कमी है, जबकि यह देश लक्ज़री पर्यटन का बड़ा केंद्र भी है। पीएम मोदी शनिवार को मालदीव की राजधानी माले में आयोजित 50वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होकर अपनी यात्रा समाप्त करेंगे।
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