भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अमेरिका यात्आरा पर हैं। भारत में पिछले 10 वर्षों को मोदी युग कहा जा सकता है। मोदी भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं। जिस तरह से उन्होंने देश में अपनी पार्टी, भाजपा और राजनीति पर अपना दबदबा बनाया है (इस साल की शुरुआत में आम चुनाव में मिली हार को छोड़कर) वह सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाले पं. जवाहरलाल नेहरू से आगे निकल सकते हैं।
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने जबरदस्त प्रगति की है और दुनिया में देश की स्थिति कई पायदान ऊपर पहुंच गई है। भारत-अमेरिका रिश्ते मजबूत हुए हैं। विशेषकर अमेरिका में प्रवासी भारतीयों तक मोदी की पहुंच सराहनीय रही है। बदले में भारतीय अमेरिकी समुदाय ने उन पर अपना प्यार और प्रशंसा बरसाई है।
पीएम मोदी की अमेरिका यात्राएं 40 लाख की आबादी वाले भारतीय समुदाय के बीच हमेशा उत्साह पैदा करती रही हैं। इस बार उन्हें 22 सितंबर को न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड पर 16,000 सीटों वाले नासाउ कोलेसियम में एक सामुदायिक स्वागत समारोह में सम्मानित किया जाएगा। 'मोदी एंड यूएस' नामक कार्यक्रम का आयोजन इंडो अमेरिकन कम्युनिटी ऑफ यूएसए द्वारा किया जाएगा। यह साझेदार संगठनों का एक व्यापक समूह है।
न्यू इंडिया अब्रॉड की ओर से मैंने कुछ प्रमुख भारतीय अमेरिकियों से भारत के विकास में पीएम मोदी की भूमिका, कैसे उन्होंने अमेरिका के साथ पहले से ही मजबूत संबंधों को बढ़ावा दिया है और यहां के समुदाय के साथ उनके विशेष संबंधों पर टिप्पणियां आमंत्रित की थीं। आप भी जानिये...
पीएम मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं भारतीय अमेरिकी
-डॉ संपत शिवांगी
नासाउ कोलेसियम में भारतीय समुदाय के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी की मुलाकात एक बड़ी घटना होगी। पीएम मोदी की यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के चलते राजनीतिक उथल-पुथल मची है। राष्ट्रपति जो बाइडेन के दौड़ से जबरन बाहर निकलने के बाद पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प और विवादास्पद उम्मीदवार कमला हैरिस को लेकर राजनीतिक विवाद भी चर्चाओं में है।
मोदीजी ने भारत को विश्व पटल पर ऊपर उठाने का उल्लेखनीय कार्य किया है। सकल घरेलू उत्पाद के मामले में देश ने फ्रांस, ब्रिटेन और बाकी दुनिया को पीछे छोड़ दिया है। अब केवल अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान ही आगे हैं। प्रधानमंत्री को उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व के लिए धन्यवाद।
अपने नेतृत्व और उपलब्धियों के बावजूद उन्हें हाल के भारतीय चुनावों में कुछ असफलताओं का सामना करना पड़ा और उन्हें गठबंधन सरकार बनानी पड़ी। लेकिन मुझे यकीन है कि भारत के बारे में उनके दृष्टिकोण के साथ उनका पुराना गौरव फिर से वापस आ जाएगा। विकसित भारत (एक विकसित देश) का उनका दृष्टिकोण एक महान सपना है और हम भारतीय, चाहे हम कहीं भी हों, भारत को दुनिया में सबसे आगे ले जाने के उनके दृष्टिकोण और सपने का समर्थन करेंगे।
इस महीने की उनकी यात्रा अमेरिका के साथ भारत के घनिष्ठ संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। खासकर इस चुनाव के दौरान जिसमें राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस शामिल हैं, जो आंशिक रूप से भारतीय मूल की हैं।
अपनी यात्रा के दौरान मोदीजी अपनी दूरदर्शिता से और राष्ट्रपति बाइडेन के परामर्श से न्यूयॉर्क में अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। हिंद महासागर में भारतीय जलक्षेत्र में अत्यधिक चीनी हस्तक्षेप के सामने यह चीन के लिए एक सामयिक संदेश होगा।
हम भारतीय जन अमेरिकी अमेरिकी धरती पर मोदीजी का हार्दिक स्वागत करते हैं। मुझे यकीन है कि यह एक बहुत ही सफल यात्रा होगी और हम दो महान देशों के बीच और भी मजबूत संबंध देखेंगे।
(डॉ. संपत शिवांगी को राष्ट्रपति ट्रम्प ने मानसिक स्वास्थ्य सेवा राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में नियुक्त किया था और वह बाइडेन प्रशासन में भी बने रहे। वह प्रवासी भारतीय पुरस्कार और एलिस आइलैंड मेडल ऑफ ऑनर से सम्मानित हैं। डॉ. शिवांगी भारतीय अमेरिकी रिपब्लिकन काउंसिल के अध्यक्ष और छह बार आरएनसी सम्मेलनों में प्रतिनिधि रहे हैं, जिसमें हाल ही में मिल्वौकी, विस्कॉन्सिन में हुआ सम्मेलन भी शामिल है)
भारत की विकास यात्रा के वाहक हैं पीएम मोदी
-डॉ.सतीश कथूला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल के वर्षों में घरेलू विकास और अंतरराष्ट्रीय संबंधों दोनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत की विकास-यात्रा को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व ने स्थानीय विनिर्माण और प्रौद्योगिकी-संचालित विकास को बढ़ावा देने के लिए 'मेक इन इंडिया' और 'डिजिटल इंडिया' जैसी पहलों के माध्यम से भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है। इसी क्रम में उनके सुधार, जैसे कि जीएसटी और श्रम कानून, का उद्देश्य भारत के नियामक ढांचे को सरल बनाना है ताकि इसे और अधिक व्यापार अनुकूल बनाया जा सके। इसके अतिरिक्त भारत की वैश्विक स्थिति को ऊपर उठाने के लिए सड़क, रेलवे और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विस्तार जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं उनके एजेंडे में केंद्रीय रही हैं।
जहां तक विदेश संबंधों की बात है तो मोदी भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में सहायक रहे हैं। खासकर रक्षा, प्रौद्योगिकी और व्यापार में। विभिन्न अमेरिकी प्रशासनों के साथ उनके तालमेल के कारण क्वाड साझेदारी, रक्षा समझौते और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित कई प्रमुख समझौते हुए हैं। ये पहल न केवल भारत की रक्षा और तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करती है बल्कि भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के रणनीतिक सहयोगी के रूप में भी स्थापित करती हैं।
(डॉ. सतीश कथुला अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (AAPI) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वह मेडिसिन के क्लिनिकल प्रोफेसर हैं और डेटन, ओहियो से बोर्ड-प्रमाणित हेमेटोलॉजिस्ट और ऑन्कोलॉजिस्ट हैं)
वैश्विक शांति दूत के रूप में पीएम मोदी की भूमिका उल्लेखनीय
-प्रो. (डॉ.) जोसेफ एम. चालिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आर्थिक सुधारों, बुनियादी ढांचे के विकास और डिजिटल परिवर्तन पर अपने ध्यान के माध्यम से भारत के विकास का आधार रहे हैं। उनके नेतृत्व ने विशेष रूप से रक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में भारत-अमेरिका संबंधों को काफी मजबूत किया है।
प्रवासी भारतीयों तक पीएम मोदी की पहुंच ने एक गहरे संबंध को बढ़ावा दिया है, निवेश को प्रोत्साहित किया है और भारत के हितों के लिए वैश्विक वकालत की है। 22 सितंबर का कार्यक्रम इन उपलब्धियों को और अधिक उजागर करने और भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने का एक बड़ा अवसर है। उनकी यात्रा हमेशा उत्साह पैदा करती है और इस बार भी कोई अपवाद नहीं है। यह भारत और अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के बीच मजबूत बंधन को दर्शाता है।
एक वैश्विक शांतिदूत के रूप में पीएम मोदी की भूमिका, राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेनी पीएम ज़ेलेंस्की के साथ उनकी बैठकों के माध्यम से प्रदर्शित हुई। यह कूटनीति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। मुझे उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा यूरोप और मध्य पूर्व में शांति को बढ़ावा देने में भारत के साथ खड़ी रहेगी।
(प्रोफेसर (डॉ.) जोसेफ एम. चालिल इंडो-अमेरिकन प्रेस क्लब के अध्यक्ष और यूनिवर्सल न्यूज नेटवर्क के प्रकाशक हैं। वह नोवा साउथईस्टर्न यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ बिजनेस में सहायक प्रोफेसर और कॉम्प्लेक्स हेल्थ सिस्टम्स एडवाइजरी बोर्ड के अध्यक्ष और नोवो इंटीग्रेटेड साइंसेज, इंक. में मुख्य चिकित्सा अधिकारी हैं। वह 'इंडिया बियॉन्ड द पैनडेमिक: ए सस्टेनेबल पाथ टुवर्ड्स ग्लोबल क्वालिटी हेल्थकेयर' के लेखक हैं। यह एैमेजॉन पर उपलब्ध है)
इस यात्रा से और मजबूत होंगे भारत-अमेरिका संबंध
-मनी कम्बोज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों ने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत किया है। इससे भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए व्यापक अवसर पैदा हुए हैं। मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी पहलों के साथ माइक्रोन और एएमडी जैसी अमेरिकी कंपनियों से महत्वपूर्ण निवेश भारत में हो रहे हैं जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ रहा है। ये सहयोग भारतीय अमेरिकियों को बढ़ी हुई उद्यमिता, प्रौद्योगिकी और व्यापार के अवसर प्रदान करते हैं।
पीएम मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा भारतीय अमेरिकियों के और सशक्त होने की उम्मीद लेकर आई है। खासकर शिक्षा और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में। उनकी सरकार का नवाचार और अनुसंधान पर ध्यान, जो भारतीय और अमेरिकी विश्वविद्यालयों के बीच साझेदारी में स्पष्ट है, प्रवासी भारतीयों के लिए अधिक छात्रवृत्ति और कौशल विकास कार्यक्रमों को जन्म दे सकता है। इन शैक्षिक संबंधों को मजबूत करने से भारतीय अमेरिकी युवाओं को प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च मांग वाले क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिलेगी।
समुदाय नेताओं के रूप में हम उम्मीद करते हैं कि पीएम मोदी की यात्रा से ऐसी नीतियां सामने आएंगी जो अमेरिका में भारतीय मूल की महिला उद्यमियों को और सशक्त बनाएंगी, यह सुनिश्चित करेंगी कि दोनों देशों में उनके योगदान को मान्यता और पोषण मिले। नेताओं की अगली पीढ़ी का समर्थन करके भारत और अमेरिका वैश्विक नवाचार को आगे बढ़ाने में अपनी साझेदारी को मजबूत कर सकते हैं।
(मनी कंबोज हेक्सर्ट टेक्नोलॉजी ग्रुप की संस्थापक और सीईओ और RAYWA फाउंडेशन, रोशनी मीडिया और फायरटॉक777 की सह-सीईओ हैं)
भारत के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित आशीर्वाद हैं नरेंद्र मोदी
-प्रोफेसर ए.डी. अमर
जैसा कि हम जानते हैं उसके मुताबिक भारत पर कब्जा, उपनिवेशीकरण और गुलामी की शुरुआत वर्ष 1192 ई. में राजा पृथ्वीराज चौहान के पतन के साथ शुरू हुई। चौहान दिल्ली के पास तराइन/तराओरी की दूसरी लड़ाई के रूप में जाने जाने वाले युद्ध में धोखे के कारण हार गए। इस बहुराष्ट्रीय आक्रमण सेना को गोरी के मुहम्मद ने भारत पर कब्ज़ा करने के लिए एक साथ रखा था। वह पहले 21 बार चौहान से हार चुका था लेकिन क्षमा मांगने पर उसे रिहा कर दिया गया। हालांकि अपने आखिरी हमले के लिए उसने अफगानों, ताजिकों और तुर्कों को आमंत्रित किया और चौहान को हराया। उन्हें पकड़ लिया और बेरहमी से मार डाला। इससे भारत की संप्रभुता समाप्त हो गई। विदेशी शासन का दौर शुरू हुआ जो बाद में मुगलों, मंगोलों, पुर्तगालियों, डचों, फ्रांसीसी और अंग्रेजों को लेकर आया। भारतीय तभी से आजादी का सपना देख रहे थे और उम्मीद कर रहे थे।
1947 में अंग्रेजों से आजादी भारत का नियंत्रण अपने हाथ में लेना मात्र थी। 1192 में खोई हुई सत्ता की वास्तविक वापसी 1977 में मोरारजी देसाई के भारत के प्रधानमंत्री के रूप में चुनाव के साथ शुरू हुई, जिसका जश्न हार्वर्ड के पूर्व प्रोफेसर और भारत में अमेरिकी राजदूत डॉ. डैनियल पैट्रिक मोयनिहान ने मनाया। उन्होंने इसे 1192 ई. में तराइन की दूसरी लड़ाई में हार के बाद से हिंदुओं द्वारा अपने राष्ट्र पर नियंत्रण करने के रूप में स्थापित किया। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि हिंदू अपने गौरवशाली अतीत को वापस लाने के लिए अपना राष्ट्र बदल देंगे।
इस बदलाव की शुरुआत असल में नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनते ही की थी। भारत के प्रति उनका प्यार, त्याग और महत्वाकांक्षा प्रगति के सभी क्षेत्रों में जबरदस्त रही है। उन्होंने भारत को औपनिवेशिक और व्यावसायिक उदासीनता की मानसिकता से बाहर निकाला है और इसे दुनिया में सबसे आगे लाकर खड़ा कर दिया है। चाहे वह कूटनीति हो, विज्ञान, व्यापार और अर्थशास्त्र, अंतरिक्ष, राजनीति, व्यापार और रक्षा हो। उन्होंने दुनिया भर में भारतीयों का सम्मान पहले जैसा बढ़ाया। उनका काम तो अभी शुरू हुआ है!
(ए.डी. अमर, पीएचडी, न्यू जर्सी में सेटन हॉल विश्वविद्यालय में स्टिलमैन स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रबंधन के प्रोफेसर हैं। उनकी रुचि के क्षेत्र रणनीति, ज्ञान और संचालन हैं)
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