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भारत में कमजोर साइबर सुरक्षा कानून और बच्चों पर बढ़ता जोखिम

भारत में आधी से अधिक आबादी की इंटरनेट खर्च होने वाले समय के बीच साइबर सिक्योरिटी नियमों को सख्त बनाने की आवश्यकता है।

रिप्रजेंटेटिव इमेज / Cybersecurity and Infrastructure Security Agency/X@CISAgov

भारत के बच्चे अब स्कूल से अधिक समय ऑनलाइन बिता रहे हैं। लेकिन मौजूदा साइबर सिक्योरिटी कानून अधिकतर मामलों में लागू नहीं हो पा रहा। यह कानून पुराना भी है, जिसे अब अपडेट करने की आवश्यकता भी है। नीति आयोग की एक नई रिपोर्ट, "बच्चों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा: अगली पीढ़ी को नुकसान से बचाना", एक ऐसे देश की चिंताजनक तस्वीर पेश करती है जो डिजिटलीकरण को अपनाने की होड़ में है। लेकिन चिंता की बात यह है कि यहां सबसे कम उम्र के इंटरनेट यूजर्स की संख्या अधिक है,लेकिन उनकी सुरक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मौजूदा कानून अपर्याप्त है। 

वैश्विक स्तर पर, हर तीन में से एक इंटरनेट उपयोगकर्ता 18 वर्ष से कम उम्र का है। दरअसल, यहां स्मार्टफोन की पहुंच तेजी से बढ़ी है। यही नहीं भारत में डेटा दुनिया में सबसे सस्ता है। यहां 16 साल की उम्र तक, लगभग हर भारतीय बच्चे के पास एक स्मार्टफोन होता है, जो रोजाना लगभग छह घंटे ऑनलाइन बिताता है। शिक्षा और मनोरंजन के साधन के रूप में शुरू हुआ यह स्मार्टफोन एक समानांतर दुनिया बन गया है। यहां युवा यूजर सोशल, खेल और शिक्षा के लिए बिना किसी वयस्क की निगरानी के लिए इंटरनेट पर निर्भर होते हैं। 
 

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