हिंदी दिवस की शुभकामनाएं। / pexles
आज जब भारत विश्व मंच पर अपनी सांस्कृतिक विविधता, आर्थिक प्रगति और नवाचार के कारण नई ऊँचाइयों को छू रहा है, तब मिडवेस्ट अमेरिका की धरती पर भी हिंदी का अस्तित्व संजोने, बचाने और नए जीवन देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जैसा कि कहा गया है—भाषाएं जोड़ती हैं, बांटती नहीं— हिंदी हमारे बच्चों को बहुभाषी, वैश्विक नागरिक बनाएगी, लेकिन अपनी जड़ों से जोड़े रखेगी।
नई शिक्षा नीति ने मातृभाषा और भारतीय भाषाओं को शिक्षा का आधार बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा पाँच भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्ज़ा देने की घोषणा ने भारत की बहुभाषी समृद्धि को वैश्विक मान्यता दिलाई है। इन उपलब्धियों के बीच हिंदी का महत्व और भी बढ़ गया है। हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रीय अस्मिता की धरोहर है।
यह भी पढ़ें- ‘Festival of Bliss’: गुरुदेव श्री राकेशजी के सम्मान में तीन दिन आध्यात्मिक कार्यक्रम
प्रवासी का मन और हिंदी का साथ
दो दशक पहले जब मैं शिकागो आया, तब परिवार और मित्र पीछे छूट गए, पर हिंदी और भारतीय संस्कार साथ लाया। यहाँ अंग्रेज़ी बोलते-बोलते जब मन थक गया, तो हिंदी बोलने के अवसर तलाशे। अनुभव हुआ कि प्रवासी बच्चों के पास हिंदी पढ़ने और लिखने का मंच नहीं था। तभी संकल्प लिया गया कि समुदाय के साथ मिलकर हिंदी शिक्षा का दीप जलाना होगा।
मंदिरों से शुरू हुई यह यात्रा पुस्तकालयों और विद्यालयों तक पहुँची। बच्चों को गीत, कहानियों और चित्रकथाओं से हिंदी से जोड़ा गया। अभिभावकों और संस्थाओं को बताया गया कि हिंदी केवल पाठ्यक्रम का विषय नहीं, बल्कि विचारों और संस्कृति की संवाहक और हमारी अमिट पहचान है।
“हिंदी दीपक है, जो पीढ़ियों को जोड़ता है।
हिंदी सेतु है, जो भारत से प्रवास को जोड़ता है।”
संस्कृति, विविधता और भविष्य को जोड़ती हिंदी
हिंदी केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि भारतीयता की आत्मा है। यह हमारी परंपराओं, विविधता, मूल्यों और जीवनदर्शन को समेटे हमारी पहचान है। जैसे कहा गया—भाषा केवल बोली नहीं; आत्मा की पुकार है।
आज जब भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, हिंदी अपने वैश्विक स्वरूप के साथ “सॉफ्ट पावर कूटनीति” की मिसाल बन रही है। इसकी समृद्ध साहित्यिक विरासत, लोककथाएँ, कहावतें, गीत, कविता और गद्य हमारे दिल, पहचान और सांस्कृतिक अस्मिता से जुड़े हैं। यही वह डोर है, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है।
शिकागो और मिडवेस्ट में हिंदी समन्वय समिति
शिकागो और पूरे मिडवेस्ट क्षेत्र में अनेक संस्थाओं, विद्वानों, अभिभावकों, छात्रों और स्वयंसेवकों ने हिंदी के प्रचार-प्रसार, सीखने-सिखाने और नई पीढ़ी को जुड़ने का संकल्प लिया। 2019 में भारतीय कौंसलावास के मार्गदर्शन में हिंदी समन्वय समिति, शिकागो का गठन हुआ। इसका उद्देश्य था-विद्यालयों में हिंदी का पाठ्यक्रम लागू करना और बच्चों को हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति से जोड़ना। प्रवासी पीढ़ी को उनकी जड़ों से अवगत कराना
समिति के गठन के बाद हिंदी के प्रचार और प्रसार में निरंतर वृद्धि हुई। ‘बालोद्यान’, ‘रूट्स टू हिंदी’, ‘इंटरनेशनल हिंदी एसोसिएशन’, ‘ब्रह्मचर्य हिंदी वैदिक स्कूल’, ‘हरिओम हिंदी गुरुकुल’ और ‘बाल विहार’ जैसी संस्थाओं ने न केवल भाषा शिक्षण को नई पीढ़ी तक पहुँचाया, बल्कि ‘हिंदी क्लब ऑफ इलिनोइस’ ने सांस्कृतिक उत्सव, कविता गोष्ठी और कार्यशालाओं के माध्यम से बच्चों और युवाओं में हिंदी की बुनियाद को मजबूत किया।
कक्षा शिक्षण, इंटरएक्टिव पद्धतियों और सामूहिक प्रयासों से सैकड़ों परिवारों के बच्चे अब हिंदी में सहजता से संवाद कर रहे हैं और भारतीय संस्कृति से जुड़े रहना सीख रहे हैं। विश्वविद्यालयों और स्कूलों में शिक्षकों ने नवाचार और समर्पण के साथ हिंदी को जीवित और गतिशील रखा। ‘मंडी थियेटर’, ‘एकजुट’, ‘ड्रामाटेक’ जैसे हिंदी नाट्य मंचों ने साहित्य और रंगमंच के माध्यम से सारी पीढ़ियों को जोड़ने का कार्य किया।
हिंदी की सार्थकता
हे हिंदी! आप देश की एकता की परिचायक हैं। आपकी सार्वभौमिकता ने आपको वैश्विक विस्तार दिया। प्रवासी भारतीय आपको बोलने, पढ़ने और लिखने में गर्व महसूस करते हैं और आपके प्रचार-प्रसार के लिए संकल्पित हैं। आपके स्वर और व्यंजन सरल, सहज और सुंदर हैं—आपका कोई विकल्प नहीं। आप राष्ट्र का गौरव हैं और सदा रहेंगी। शिकागो की गलियों से लेकर विद्यालयों, मंचों और परिवारों तक, हिंदी को नया जीवन देने का यह अभियान अनवरत है।
जैसे सूर्य की किरणें अन्धकार को हर सुबह नया उजास देती हैं, वैसे ही हिंदी दीप्ति फैलती रहेगी।
मैं अपना पत्र आपके सम्मान में हिंदी को समर्पित कविता ‘हिन्दवी’ से समाप्त करता हूं:
हिन्दवी
सभ्यता और संस्कृति की नदिया है हिन्दी
देश-विदेश में बहती यह अविरल धारा है
संपर्क और संवाद का सेतु है यह अनुपम
सहजता और सरलता का है अद्भुत संगम
स्वर और व्यंजन हैं सुंदर इसके आभूषण
देवनागरी लिपि में वर्णों का सुंदर मिश्रण
जितनी प्रकार की ध्वनियां, उतने ही अक्षर
एकरूपता ऐसी परिलक्षित होती और किधर
पूर्वजों की धरोहर को संजोकर रखना है
तो हिन्दी का उपयोग गर्व से करना है
संकल्प आज हमको केवल इतना करना है
आज से हस्ताक्षर अपना हिन्दी में करना है
शुभकामनाओं सहित,
राकेश की कलम से
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login