सांकेतिक तस्वीर / UnSplash
अफोर्डेबिलिटी यानी सामर्थ्य रातोंरात अमेरिका में नया 'राजनीतिक शब्द' बन गया है। इसी शब्द ने जोहरान ममदानी को न्यूयॉर्क के सिटी हॉल तक पहुंचाया और अब वॉशिंगटन तक इसकी गूंज सुनाई दे रही है। वामपंथी विचारधारा वाले ममदानी की जीत 'किराया स्थिर करो, बसें किराया मुक्त करो, अमीरों पर कर लगाओ' ने डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन दोनों को हिलाकर रख दिया है। उनका संदेश सरल, जरूरी और अटल था: शहर को फिर से रहने लायक बनाओ। यहां तक कि राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प भी, अपने पुनर्निर्वाचन की पहली वर्षगांठ पर, ममदानी का नारा अपनाने के लिए मजबूर हुए। उन्होंने कहा, 'सामर्थ्य हमारा लक्ष्य है,' हालांकि बहुत कम लोग मानते हैं कि दोनों का इसके अर्थ के बारे में एक ही दृष्टिकोण है।
अब वायदों की कठिनाइयों पर कुछ बात। ममदानी को एक ऐसा शहर विरासत में मिला है जो रिकॉर्ड तोड़ आवास लागत और एक बीमार अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है। उस पर एक संघीय बंद ने देश भर में विकास को ठंडा कर दिया है। वह सामर्थ्य को पूरा करने का वादा करते हैं, लेकिन उनकी शक्ति की सीमाएं हैं। राज्यपाल कैथी होचुल, प्रमुख वित्त पोषण तंत्रों को नियंत्रित करती हैं और अपने पुनर्निर्वाचन से पहले ही करों में वृद्धि के खिलाफ चेतावनी दे चुकी हैं। बसों को किराया-मुक्त किया जाए या नहीं, यह निर्णय महापौर नहीं, बल्कि राज्य द्वारा संचालित परिवहन प्राधिकरण लेता है। और पुलिस बजट में किसी भी वास्तविक कटौती पर नगर परिषद को हस्ताक्षर करना होगा। जैसा कि ममदानी ने एक बार राज्य विधायक के रूप में मांग की थी। और संघीय कटौती की धमकियां भी।
प्रवासी भारतीयों के लिए ममदानी की जीत जिस सांस्कृतिक बदलाव का प्रतिनिधित्व करती है, उस पर विचार करना भी जरूरी है। चाहे उनकी राजनीतिक निष्ठा कहीं भी हो। ममदानी नए प्रवासी-आत्मविश्वास के साथ उभरे हैं और स्वीकृत ढांचे में फिट होने के लिए अपनी पहचान को छुपाने को तैयार नहीं हैं। अपने धर्म, जाति और विचारधारा जैसे पहलुओं को नकारने से इनकार करके ममदानी ने लंबे समय से चली आ रही 'आदर्श अल्पसंख्यक' की शांत आत्मसातीकरण की अपेक्षा को चुनौती दी है। मेयर-चुनाव के रूप में उनके पहले बयानों में से एक व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों था: मैं इनमें से किसी के लिए भी माफी मांगने से इनकार करता हूं। यह एक घोषणा थी कि अमेरिका में अपनेपन के लिए अब मिटाने की नहीं, बल्कि प्रामाणिकता की जरूरत है। और शायद यही नये सामर्थ्य का भी हिस्सा है।
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