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2025 टाटा ट्रांसफॉर्मेशन प्राइज से सम्मानित हुए तीन भारतीय वैज्ञानिक

फूड सिक्योरिटी, सस्टेनेबिलिटी और हेल्थकेयर में क्रांतिकारी शोध के लिए मिला सम्मान।

(L-R): अंबरिश घोष, बालासुब्रमणियन गोपाल और पडुबिद्री वी. शिवप्रसाद / Courtesy: The New York Academy of Sciences

भारत के तीन वैज्ञानिकों को 2025 टाटा ट्रांसफॉर्मेशन प्राइज के लिए चुना गया है। फूड सिक्योरिटी, सस्टेनेबिलिटी और हेल्थकेयर के क्षेत्रों में उनके विकसित किए गए नवाचारों को वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है। यह घोषणा न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज और टाटा संस ने 18 नवंबर को की। सम्मानित वैज्ञानिकों में पडुबिद्री वी. शिवप्रसाद, बालासुब्रमणियन गोपाल, और अंबरिश घोष शामिल हैं।

फूड सिक्योरिटी कैटेगरी में राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र (NCBS) के पडुबिद्री वी. शिवप्रसाद को पुरस्कृत किया गया। उन्होंने धान यानी चावल में एपिजेनेटिक और स्मॉल RNA-आधारित इंजीनियरिंग तकनीकें विकसित कीं जो फसल की पोषण क्षमता और तनाव-सहनशीलता बढ़ाती हैं। यह शोध जलवायु परिवर्तन और घटती खेती योग्य जमीन से निपटने में अहम भूमिका निभा सकता है।

सस्टेनेबिलिटी अवॉर्ड भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के बालासुब्रमणियन गोपाल को मिला। उन्होंने एक ग्रीन केमिस्ट्री प्लेटफॉर्म विकसित किया है, जो बायोइंजीनियर E.coli और एआई आधारित टूल्स का उपयोग करके फार्मा, कॉस्मेटिक्स और कृषि में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण केमिकल्स को पर्यावरण-अनुकूल तरीके से तैयार करता है। इससे प्रदूषण और ऊर्जा खपत कम होती है।

हेल्थकेयर प्राइज भी IISc के अंबरिश घोष को मिला। उन्होंने मैग्नेटिक नैनोरोबोट्स विकसित किए हैं, जो शरीर के भीतर नेविगेट कर सटीक रूप से कैंसर-रोधी दवाएं पहुंचा सकते हैं। यह तकनीक कम इनवेसिव और कम साइड-इफेक्ट वाली कैंसर थेरिपीज के लिए नई संभावनाएं खोलती है।

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा कि इस वर्ष के विजेताओं द्वारा हासिल की गई वैज्ञानिक प्रगति जलवायु-प्रतिरोधी फसलें, टिकाऊ बायो-मैन्युफैक्चरिंग और कम साइड-इफेक्ट वाली कैंसर थेरेपी वर्षों की मेहनत का परिणाम है। यह शोध भारत ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण है।

न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज के प्रेसीडेंट और सीईओ निकोलस बी. डर्क्स ने कहा कि टाटा ट्रांसफॉर्मेशन प्राइज उन वैज्ञानिक उपलब्धियों का उत्सव है, जिनमें समाज की बड़ी चुनौतियों को हल करने और आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ाने की क्षमता है। 2025 के विजेता दिखाते हैं कि भारतीय विज्ञान वैश्विक बदलाव लाने की शक्ति रखता है।

प्रत्येक विजेता को अपने शोध को आगे बढ़ाने के लिए 2 करोड़ रुपये (228,000 डॉलर) की राशि प्रदान की जाएगी। कुल 212 नामांकन प्राप्त हुए थे जो भारत के 27 राज्यों से आए थे। विजेताओं को दिसंबर 2025 में मुंबई में आयोजित होने वाले समारोह में सम्मानित किया जाएगा।

यह पुरस्कार 2022 में स्थापित किया गया था और इसका उद्देश्य उच्च-जोखिम, उच्च-इनाम वैज्ञानिक शोध को समर्थन देना है, जो भारत और विश्व में जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लक्ष्य से जुड़ा है।

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