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सोनिया रमन बनीं WNBA के इतिहास में पहली भारतीय मूल की हेड कोच

सीएटल स्टॉर्म ने सात साल बाद की पहली कोचिंग सर्च में चुना नया नेतृत्व

सोनिया रमन / X

भारतीय मूल की बास्केटबॉल कोच सोनिया रमन अब अमेरिका की विमेन्स नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन (WNBA) में इतिहास रचने जा रही हैं। ESPN की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने सीएटल स्टॉर्म टीम के साथ मल्टी-ईयर हेड कोचिंग कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। इस तरह वह विमेन्स नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन के इतिहास में भारतीय मूल की पहली हेड कोच बन गई हैं।

सीएटल स्टॉर्म ने लगभग सात साल बाद नोएल क्विन के स्थान पर सोनिया को नियुक्त किया है। क्विन का अनुबंध टीम के लास वेगास एसेज के खिलाफ पहले राउंड में हार के बाद नवीनीकृत नहीं किया गया। क्विन ने 2021 के बीच सीजन से पदभार संभाला था और पांच सीजन में 97–89 का रिकॉर्ड बनाया था। उस अवधि में टीम ने 2020 में चैंपियनशिप भी जीती थी जब गैरी क्लॉपनबर्ग ने अंतरिम कोच के रूप में नेतृत्व किया था।

टीम की जनरल मैनेजर तलिसा रिया ने ESPN से कहा कि हम एक ऐसे लीडर की तलाश में थे जो टीम के लिए नई पहचान बना सके, ग्रुप को संभाल सके और लंबे समय की दिशा तय कर सके। उन्होंने कहा कि WNBA में बदलाव का दौर चल रहा है और ऐसे समय में टीम को किसी ऐसे कोच की जरूरत थी जो आत्मविश्वास, केमिस्ट्री और एक मजबूत पहचान विकसित कर सके।

सोनिया रमन ने पिछले साल न्यूयॉर्क लिबर्टी में असिस्टेंट कोच के रूप में जॉइन किया था। इससे पहले वह एनबीए की मेम्फिस ग्रिजलीज में चार वर्षों तक असिस्टेंट कोच रहीं। 2020 में जब उन्होंने यह भूमिका संभाली थी तब वे NBA में भारतीय मूल की पहली कोच बनीं थीं।

मेम्फिस से पहले सोनिया ने एमआईटी में महिला बास्केटबॉल टीम की हेड कोच के रूप में 2008 से 2020 तक काम किया था। वहां उन्होंने एक दशक से भी अधिक समय तक अपने नेतृत्व से कई रिकॉर्ड कायम किए।

रमन की नियुक्ति 2017 के बाद सीएटल स्टॉर्म की पहली फुल कोचिंग सर्च का नतीजा है। उस समय टीम ने डैन ह्यूजेस को नियुक्त किया था और आने वाले वर्षों में 2018 और 2020 में दो WNBA खिताब जीते थे। सोनिया का कॉन्ट्रैक्ट क्लच स्पोर्ट्स के एजेंट एंडी लैटैक और स्टीव नेफ ने नेगोशिएट किया। टीम ने अब तक यह नहीं बताया है कि रमन को औपचारिक रूप से कब पेश किया जाएगा।

सोनिया की यह नियुक्ति न केवल भारतीय समुदाय के लिए गर्व का क्षण है बल्कि अमेरिकी बास्केटबॉल में विविधता और प्रतिनिधित्व की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम भी है।

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