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छोटे प्रयासों से ला रहे बड़े बदलाव, इन 11 युवा भारतीय अमेरिकियों को मिला डायना अवॉर्ड

ये युवा चेंजमेकर सभी नागरिकों के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने और बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

इस साल 45 देशों के 200 युवा चेंजमेकर्स को डायना अवॉर्ड सम्मानित किया गया है।  / Photo Courtesy # Website -diana-award.org

भारतीय मूल के 11 अमेरिकियों को विश्व में सकारात्मक बदलाव लाने में उल्लेखनीय योगदान के लिए 2024 के डायना पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस साल सामाजिक कार्यों और मानवीय प्रयासों में असाधारण योगदान के लिए 45 देशों के 200 युवा चेंजमेकर्स को सम्मानित किया गया है। 

इन युवा दूरदर्शी प्रतिभाओं को शिक्षा, पर्यावरण, लैंगिक समानता, सामाजिक न्याय और मानसिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में अनूठे प्रयासों के लिए मान्यता प्रदान की गई है। इनकी प्रेरक कहानियां समाज में बदलाव लाने और सुनहरे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने की युवाओं की ताकत को दर्शाती हैं।

फ्लोरिडा की आद्या चौधरी ने लैंगिक असमानता से निपटने और लड़कियों को पुरुष प्रधान क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से uEmpower की सह-स्थापना की। उन्होंने 31 देशों और 27 अमेरिकी राज्यों में 700 से अधिक स्वयंसेवकों को एकजुट किया। लगभग 4,000 लड़कियों के लिए कार्यक्रम आयोजित किए और ग्लोबल मेंटरशिप नेटवर्क जैसी कई पहल की हैं।

CirFin के संस्थापक आर्यन दोशी के कार्यों का उद्देश्य सर्कुलर इकोनमी को बढ़ावा देते हुए प्रोडक्ट रीयूज और सस्टेनेबिलिटी पर फोकस करता है। कैलिफोर्निया निवासी आर्यन ने वर्कशॉप, किताबों और एआई संचालित प्लेटफॉर्म से अपने कार्यों को 38 देशों में 5,200 से अधिक छात्रों तक पहुंचाया है। उन्होंने CirFin CREATE चैलेंज बनाकर 100 से अधिक युवाओं के नेतृत्व वाली जलवायु परियोजनाओं को फंडिंग की है। 

आत्रेय मनस्वी ने पॉलीनेटर्स की रक्षा और पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान के लिए BeetleGuardAI की स्थापना की। वह इंटरनेशनल यूथ एसटीईएम सोसाइटी के भी अगुआ हैं जो वंचित युवाओं को एसटीईएम शिक्षा पाने में मदद करता है। उनका इनवेंशन मशीन लर्निंग के उपयोग से मधुमक्खियों को कीटों से बचाता है। उनकी टीम ने 20 देशों में 2,000 छात्रों को फायदा पहुंचाया है।

न्यूजर्सी के ईशान परमार ने दक्षिण एशिया में जातिगत भेदभाव से लड़ने के लिए वैश्विक दलित विकास संगठन की स्थापना की है। उनका संगठन भारत और नेपाल में हाशिए पर पड़े बच्चों का सपोर्ट करता है और शिक्षा व स्वास्थ्य संसाधन प्रदान करता है। उन्होंने जातिगत भेदभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए वैश्विक जाति जागरूकता दिवस की भी शुरुआत की है।

न्यूजर्सी की इशिका रांका ने अकेलेपन और बढ़ती उम्र की समस्याओं को दूर करने के लिए कोरोना महामारी के दौरान रेजिडेंट रेडियंस की स्थापना की थी। उन्होंने युवाओं को नर्सिंग होम में स्वयंसेवा के लिए इकट्ठा किया। भारत में 20,000 से अधिक सैनिटरी पैड और फूड पैकेट वितरित किए। खुद चुनौतियों का सामना करते हुए वह दूसरों को बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती रहती हैं।

डेनवर में रहने वाली माया सीगल ने यौन हिंसा रोकथाम के लिए Stories of Consent (एसओसी) की सह-स्थापना की है। पीयर एजुकेशन और सपोर्ट नेटवर्क के जरिए एसओसी ने 462,000 से अधिक लोगों को प्रभावित किया है। उनके संगठन ने 45 अमेरिकी राज्यों में स्कूली छात्रों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम भी तैयार किए हैं।

निष्का शर्मा ने एसटीईएम शिक्षा को आगे बढ़ाने और छात्रों को मेंटर्स से जोड़ने के लिए यूथ मेंटरशिप प्रोजेक्ट की स्थापना की है। एआई संचालित प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए उन्होंने दुनिया भर में 3,500 से अधिक छात्रों को 500 से अधिक सलाहकारों के साथ जोड़ा है जिससे वंचित समुदायों के लिए नए स्थायी अवसर पैदा हुए।

कैलिफोर्निया के रिशान पटेल ने अंडरवर्ल्ड स्कूलों को खेल उपकरण प्रदान करने के लिए लेंडिंग लॉकर्स की स्थापना की। उनकी पहल अब विश्व में 300 जगहों तक पहुंच चुकी है जिससे दो लाख से अधिक युवाओं का फायदा मिला है। साझेदारी के जरिए रिशान ने खेलों को अधिक सुलभ बनाने के लिए तीन लाख डॉलर से अधिक जुटाए हैं।

नैशविले के सावन दुवुरी ने शिक्षा में नस्लीय एवं सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व की कमी दूर करने के लिए LiteratureDiversified की स्थापना की। उनकी पहल ने 450 से अधिक शैक्षिक संसाधन तैयार किए हैं, जिसकी पहुंच विश्व स्तर पर 12,700 छात्रों तक हो गई है। सावन शिक्षा की मदद से सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं।

श्रेया रामचंद्रन ने ग्रेवाटर के पुन: उपयोग से जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए द ग्रे वाटर प्रोजेक्ट की स्थापना की है। उनके प्रयासों ने एक लाख से अधिक लोगों को शिक्षित किया है और 180 मिलियन गैलन पानी बचाया है। वह विश्व स्तर पर स्थायी जल प्रथाओं की वकालत कर रही हैं।

रिचर्ड मोंटगोमरी हाई स्कूल की श्रुस्ती अमुला ने राइज एन शाइन फाउंडेशन की स्थापना की है जो खाने की बर्बादी रोकने और जलवायु परिवर्तन पर इसके प्रभावों से निपटने में मदद करता है। उन्होंने स्कूलों में विशेष कार्यक्रम चलाकर अतिरिक्त भोजन को इकट्ठा किया और तीन लाख से अधिक लोगों को खाना प्रदान किया है। उनके प्रयासों से मैरीलैंड के स्कूलों में फूड कार्यक्रमों के लिए 1.25 मिलियन डॉलर जुटाए जा चुके हैं।

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