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'काम कब करेगा?', भारतीय बॉस ने कई शौक रखने वाले उम्मीदवार को नहीं दी नौकरी

हांगकांग में रहने वाले एक COO ने सोशल मीडिया पर भारतीय बॉस द्वारा मैराथन दौड़ने और गिटार बजाने वाले उम्मीदवार को नौकरी से इनकार की घटना को साझा किया है। इसने कॉरपोरेट जगत में वर्क और लाइफ के बीच संतुलन को लेकर चल रही बहस ने एक नया मोड़ ले लिया है।

परमिंदर सिंह, एसएन सुब्रह्मण्यन और नारायण मूर्ति। / X/@parrysingh, Website-ltimindtree.com; infosys.com

भारत में वर्क और लाइफ के बीच संतुलन की बहस तेज हो गई है। कॉरपोरेट लीडर्स के बयानों के कारण इस पर व्यापक बहस छिड़ गई है। इस बहस के बीच हांगकांग स्थित पत्रिका टैटलर एशिया (Tatler Asia) के COO परमिंदर सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक निजी किस्सा साझा किया है। सिंह ने कई साल पहले की एक घटना का जिक्र किया, जब उनके भारतीय बॉस ने सिर्फ इसलिए एक मार्केटिंग पद के उम्मीदवार को रिजेक्ट कर दिया क्योंकि उसने अपने रिज्यूमे में मैराथन दौड़ना और गिटार बजाना जैसे शौक लिखे थे।

सिंह ने अपनी पोस्ट में बताया, 'एक बार एक उम्मीदवार ने भारत में हमारी टीम में मार्केटिंग की भूमिका के लिए आवेदन किया था। एक काबिल मार्केटर होने के अलावा उसके रिज्यूमे में लिखा था कि वह मैराथन दौड़ता है और गिटार बजाता है। मेरे बॉस ने मुझे उसे काम पर रखने नहीं दिया और कहा, 'ये आदमी अगर ये सब कुछ करता है तो काम कब करेगा?' सिंह ने उस 'काबिल' उम्मीदवार को न रख पाने पर अफसोस भी जाहिर किया। 

इसके साथ ही सिंह ने हाल ही में L&T के बयान पर तंज कसते हुए कहा, 'मुझे लगा था कि ऐसे मैनेजर विलुप्त हो गए हैं। पता चला कि वे अभी भी हैं।'

हालिया वर्क-लाइफ बैलेंस विवाद L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन के एक वायरल वीडियो से शुरू हुआ है। जिसमें उन्होंने 90 घंटे के काम के हफ्ते का सुझाव दिया था और कर्मचारियों के वीकेंड्स में छुट्टी लेने की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, 'आप घर बैठकर क्या करते हैं? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं? पत्नियां अपने पतियों को कितनी देर तक निहार सकती हैं? ऑफिस आइए और काम शुरू कीजिए।' उनके इस बयान की व्यापक निंदा हुई है। 

दरअसल, विवाद पिछले एक साल से लगातार चल रहा है जब Infosys के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने सुझाव दिया था कि भारत के युवा देश की उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक हफ्ते में 70 घंटे काम करें। हालांकि, मूर्ति के इस बयान की तीखी आलोचना हुई। कई लोगों ने तर्क दिया कि ऐसी उम्मीदें बर्नआउट और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देंगी।

भारत के कॉरपोरेट जगत के इन नेताओं के बयान पारंपरिक कॉरपोरेट मानसिकता और कर्मचारियों की बदलती अपेक्षाओं के बीच स्पष्ट मतभेद को दर्शाते हैं। 

सिंह ने आगे कहा, 'गूगल की एक अनौपचारिक नीति थी, अगर आप ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो आप गूगल के ऑफिस में जाकर नौकरी पा सकते हैं।' सिंह की टिप्पणी ने विभिन्न रुचियों वाले व्यक्तियों को काम पर रखने और वर्क-लाइफ बैलेंस के लाभों पर चर्चा को फिर से शुरू कर दिया है। आनंद महिंद्रा, हर्ष गोयनका और अदार पूनावाला सहित कॉरपोरेट नेताओं ने L&T के चेयरमैन की टिप्पणी की तुरंत निंदा की और कर्मचारियों के समय का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया। 

महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा, 'मैं एक्स पर इसलिए नहीं हूं क्योंकि मैं अकेला हूं। मेरी पत्नी बहुत अच्छी है, और मुझे उन्हें निहारना बहुत पसंद है।' L&T के चेयरमैन के बयानों के बाद, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ और मालिक, पूनावाला फिनकॉर्प के चेयरमैन अदार पूनावाला ने एक्स पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने लिखा, 'हां, आनंद महिंद्रा और यहां तक कि मेरी पत्नी को भी लगता है कि मैं बहुत अच्छा हूं। उन्हें रविवार को मुझे घूरना बहुत पसंद है। काम की क्वॉलिटी, संख्या से ज्यादा महत्वपूर्ण है।'

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