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अमेरिकी कांग्रेस में पहली बार भारतीय-अमेरिकी को मिला ऐतिहासिक सम्मान

यह पहली बार था जब किसी भारतीय-अमेरिकी को कांग्रेस में इस प्रकार की मान्यता दी गई। यह संपत शिवांगी के सार्वजनिक सेवा, नेतृत्व और समुदाय के प्रति योगदान को दर्शाता है।

अमेरिका में भारतीय मूल के प्रतिष्ठित चिकित्सक और सामुदायिक नेता डॉ. संपत शिवांगी को एक ऐतिहासिक सम्मान मिला। 26 मार्च को वाशिंगटन डी.सी. स्थित अमेरिकी कैपिटल में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। यह पहली बार था जब किसी भारतीय-अमेरिकी को कांग्रेस में इस प्रकार की मान्यता दी गई, जो उनके सार्वजनिक सेवा, नेतृत्व और समुदाय के प्रति योगदान को दर्शाता है।

कांग्रेसनल सम्मान में हुआ डॉ. शिवांगी का स्मरण
इस कार्यक्रम में अमेरिकी सांसद माइकल गेस्ट (R-MS), सीनेटर रॉजर विकर (R-MS), भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति (D-IL) और श्री थानेदार (MI-13) समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की। कांग्रेस के सदस्य माइकल गेस्ट, जिन्होंने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डॉ. शिवांगी के योगदान को औपचारिक रूप से मान्यता दी, ने उनके परिवार को एक अमेरिकी ध्वज भेंट किया, जिसे विशेष रूप से यू.एस. कैपिटल पर उनके सम्मान में फहराया गया था।

परिवार और समुदाय ने दी श्रद्धांजलि
इस अवसर पर डॉ. शिवांगी की पत्नी डॉ. उदया शिवांगी और उनकी बेटियां पूजा शिवांगी अमीन और प्रिया शिवांगी कुरुप ने डॉ. संपत शिवांगी लिगेसी अवार्ड सांसद माइकल गेस्ट को प्रदान किया। यह सम्मान सीनेटर रॉजर विकर को भी दिया गया, जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति डॉ. शिवांगी के समर्पण की सराहना की।

यह भी पढ़ें- यूएस हाउस ने भारतीय-अमेरिकी चिकित्सक डॉ. संपत शिवांगी को दी श्रद्धांजलि

भारतीय-अमेरिकी समुदाय की प्रमुख हस्तियों ने भी उनके जीवन और उपलब्धियों को याद किया। अमेरिकन मल्टी एथनिक कमिशन के अध्यक्ष विजय प्रभाकर, जो इस कार्यक्रम के संचालक थे, ने बताया कि डॉ. शिवांगी ने मात्र 19 वर्ष की आयु में बेलगाम, कर्नाटक में एक मेडिकल छात्र के रूप में सार्वजनिक सेवा की शुरुआत की थी। उन्होंने उन्हें एक "निश्छल प्रतिबद्धता और अथक सेवा का प्रतीक" बताया।

"उनकी विरासत अमर रहेगी" – डॉ. उदया शिवांगी
डॉ. उदया शिवांगी ने अपने पति को याद करते हुए भावनात्मक रूप से कहा, "आज 45 दिन हो चुके हैं जब मैंने अपने प्रिय जीवनसाथी को खो दिया। लेकिन उनकी उपस्थिति आज भी हर जगह महसूस होती है—उन लोगों की ज़िंदगी में जिन्हें उन्होंने छुआ, उन संस्थानों में जो उन्होंने बनाए, और उन मूल्यों में जो उन्होंने जिए।"

उन्होंने आगे कहा, "वह सिर्फ एक चिकित्सक, परोपकारी और नेता नहीं थे—बल्कि शिक्षा, सेवा और दान को समर्पित एक महान आत्मा थे।"
 

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