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US का G7, EU से टैरिफ दर वृद्धि का आह्वान, निशाने पर भारत-चीन

अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने अब यूरोपियन यूनियन ने भारत और चीन पर टैरिफ वृद्धि का आह्वान किया है।

अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने अब यूरोपिन यूनियन ने भारत और चीन पर टैरिफ वृद्धि का आह्वान किया है। / Reuters

रूस के तेल आयात पर अमेरिका ने एक बार फिर भारत को निशाने पर लिया। अमेरिकी वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन और भारत की ओर से रूसी तेल की खरीद पुतिन की युद्ध मशीन को वित्तपोषित कर रही है। और यूक्रेन में लोगों की हत्याओं का आंकड़ा बढ़ रहा है। प्रवक्ता ने कहा कि हमने अपने यूरोपीय संघ के सहयोगियों को यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर वह अपने यहां युद्ध समाप्त करने के बारे में गंभीर हैं, तो उन्हें हमारे साथ मिलकर सार्थक टैरिफ लगाने होंगे।

अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को G7 और यूरोपीय संघ के सहयोगियों से चीन और भारत से आने वाले उत्पादों पर "सार्थक टैरिफ" लगाने का आह्वान किया है। इसके लिए यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए मास्को पर दबाव बढ़ाने के प्रयासों पर चर्चा करने के लिए G7 की एक आपातकालीन वित्त बैठक भी बुलाई गई।

अमेरिकी वित्त मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने रॉयटर्स को ईमेल के ज़रिए दिए एक बयान में कहा-चीन और भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पुतिन की युद्ध मशीन को वित्तपोषित कर रही है और यूक्रेनी लोगों की बेवजह हत्या को और बढ़ा रही है। इस हफ्ते की शुरुआत में, हमने अपने यूरोपीय संघ के सहयोगियों को स्पष्ट कर दिया था कि अगर वे अपने देश में युद्ध समाप्त करने के लिए गंभीर हैं, तो उन्हें हमारे साथ मिलकर सार्थक टैरिफ लगाने होंगे।

प्रवक्ता ने आगे कहा, "युद्ध समाप्त होने के दिन इसे रद्द कर दिया जाएगा।"

बता दें यूएस ने भारत से आयात पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया है, ताकि नई दिल्ली पर रियायती रूसी कच्चे तेल की खरीद बंद करने का दबाव बनाया जा सके।।

लेकिन ट्रंप ने चीन द्वारा रूसी तेल की खरीद के कारण चीनी आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगाने से परहेज किया है। दरअसल ट्रम्प प्रशासन बीजिंग के साथ एक नाजुक व्यापार युद्धविराम समझौते पर काम कर रहा है, जिसके तहत प्रतिशोधात्मक शुल्क 100% से अधिक कम हो गए हैं।

इस बीच एक साक्षात्कर में ट्रम्प ने पुतिन द्वारा शांति स्थापना के प्रयासों के बावजूद युद्ध रोकने में विफलता पर निराशा व्यक्त की। ट्रम्प ने कहा कि रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए टैरिफ के साथ-साथ बैंकों और तेल पर प्रतिबंध बढ़ाना एक विकल्प है। हालांकि इसमें यूरोपीय देशों को भी शामिल किया जा सकता है। 

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