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राजधानी दिल्ली में स्मॉग का कहर: सांस लेना हुआ मुश्किल, बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मजबूर

हर साल शहर जहरीली धुंध से ढंक जाता है। इसकी मुख्य वजह है आसपास के इलाकों में किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाना, फैक्टरियों और गाड़ियों का धुआं। हालात को देखते हुए सोमवार से और भी कई पाबंदियां लगा दी गईं, जिसमें डीजल से चलने वाले ट्रकों और कंस्ट्रक्शन पर रोक लगाना शामिल है। 

 जब तक कि जहरीले स्मॉग की स्थिति सुधरती नहीं है, तब तक बच्चे स्कूल नहीं जा पाएंगे। / @ReutersWorld

भारत की राजधानी दिल्ली में सोमवार से स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेस शुरू हो गई हैं। जब तक कि जहरीले स्मॉग की स्थिति सुधरती नहीं है, तब तक बच्चे स्कूल नहीं जा पाएंगे। ये स्मॉग वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन के तय मानक से 60 गुना अधिक खराब हैं। सरकार की तरफ से कई छोटे-मोटे प्रयास किए गए, लेकिन ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। हर साल इस जहरीली धुंध की वजह से कई लोगों की मौत हो जाती है। खासकर बच्चों और बुज़ुर्गों की सेहत पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। 

सोमवार सुबह IQAir के पॉल्यूशन मॉनिटर के मुताबिक, PM2.5 pollutants का स्तर 907 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया। ये खतरनाक कैंसर पैदा करने वाले सूक्ष्म कण हैं जो फेफड़ों के माध्यम से खून में मिल जाते हैं। WHO के मुताबिक़, 24 घंटे में 15 से ऊपर का रीडिंग ही अस्वास्थ्यकर माना जाता है। कुछ मॉनिटरिंग स्टेशन्स ने तो इससे भी ज्यादा हाई लेवल दर्ज किए हैं। एक स्टेशन ने PM2.5 pollutants का स्तर 980 तक बताया, जो WHO के लिमिट से 65 गुना अधिक हैं। 

तीस साल के रिक्शा चालक सुबोध कुमार ने कहा, 'मेरी आंखें पिछले कुछ दिनों से जल रही हैं।' सुबोध कुमार ने सड़क किनारे नाश्ते के ठेले पर नाश्ता करते हुए कहा, 'प्रदूषण हो या ना हो, मुझे तो सड़क पर ही रहना है, मैं और कहां जाऊंगा?' उसने आगे कहा, 'हमारे पास घर के अंदर रहने का कोई ऑप्शन नहीं है... हमारी रोजी-रोटी, खाना, जिंदगी – सब कुछ तो खुले आसमान के नीचे है।'

घना, धूसर और तीखा धुंध पूरे शहर को ढंक रहा था। IQAir ने स्थिति को खतरनाक बताया है।हर साल शहर जहरीली धुंध से ढंक जाता है। इसकी मुख्य वजह है आसपास के इलाकों में किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाना, फैक्टरियों और गाड़ियों का धुआं। इस महीने The New York Times की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पांच सालों तक लिए गए सैंपल के आधार पर पता चला है कि शहर के कचरे के ढेर को जलाने वाले एक पावर प्लांट से भी जहरीला धुआं निकल रहा है। 

हालात को देखते हुए सोमवार को और भी कई पाबंदियां लगा दी गईं, जिसमें डीजल से चलने वाले ट्रकों और कंस्ट्रक्शन पर रोक लगाना शामिल है। शहर के अधिकारियों ने हवा की क्वॉलिटी को और अधिक खराब होने से रोकने के लिए ये पाबंदियां लगाई हैं। अधिकारियों को उम्मीद है कि बच्चों को घर पर रखने से ट्रैफिक कम हो जाएगा। मुख्यमंत्री अतिशी ने रविवार रात एक बयान में कहा, '10वीं और 12वीं क्लास के छात्रों को छोड़कर बाकी सभी छात्रों के लिए फिजिकल क्लासेस बंद रहेंगी।' सरकार ने बच्चों, बुज़ुर्गों और फेफड़ों या दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों से 'जितना हो सके घर के अंदर ही रहने' की अपील की है। 

शहर में बहुत से लोग एयर फिल्टर नहीं खरीद सकते। न ही उनके पास ऐसे घर हैं जहां वो जहरीला हवा से खुद को बचा सकें। 45 साल के रिक्शा चालक रिंकू कुमार ने कहा, अमीर मंत्री और अफसर घर के अंदर रह सकते हैं, हम जैसे आम आदमी तो नहीं। उन्होंने आगे कहा, महीने के बिल चुकाना ही मुश्किल है, एयर प्यूरीफायर कौन खरीद सकता है? 

पिछले हफ्ते धुंध की वजह से दर्जनों फ्लाइट्स डिले हुई हैं। तीन करोड़ से ज्यादा लोगों के घर वाला नई दिल्ली और आसपास का मेट्रोपॉलिटन एरिया, सर्दियों में दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शुमार है। ठंडे तापमान और धीमी हवा की वजह से हर सर्दी में यही होता हैं, जिससे हालात और भी खराब हो जाते हैं। ये स्थिति अक्टूबर के मध्य से कम से कम जनवरी तक रहती है। 

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने साफ हवा को मौलिक अधिकार बताते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को ऐक्शन लेने का आदेश दिया था। आलोचक कहते हैं कि पड़ोसी राज्यों की राजनीति, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विवाद की वजह से समस्या और भी बढ़ गई है। आरोप है कि राजनेता अपने क्षेत्र के ताकतवर किसानों को नाराज नहीं करना चाहते हैं।

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