ADVERTISEMENTs

न्यूयॉर्क में रूबियो-जयशंकर की मुलाकात, व्यापार वार्ता में गोयल

यह मुलाकात ऐसे वक्त में हो रही है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नए H-1B वीजा आवेदनों पर 100,000 डॉलर शुल्क लगाने का कार्यकारी आदेश जारी किए हुए 100 घंटे से भी कम समय हुआ है।

सांकेतिक तस्वीर / Ai generated

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को न्यूयॉर्क में मुलाकात करेंगे। यह जानकारी अमेरिकी विदेश विभाग ने रविवार को दी है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को अमेरिका पहुंचे। उनके साथ भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद हैं।

यह मुलाकात ऐसे वक्त में हो रही है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नए H-1B वीजा आवेदनों पर 100,000 डॉलर शुल्क लगाने का कार्यकारी आदेश जारी किए हुए 100 घंटे से भी कम समय हुआ है। इस कदम ने भारतीय प्रोफेशनल्स और टेक कंपनियों को एक तरह का झटका दिया है। यह भारत-अमेरिका संबंधों में महीनों से चल रहे तनाव में इजाफा करता है।

उम्मीद जताई जा रही है कि रूबियो और जयशंकर के बीच रक्षा सहयोग, हिंद-प्रशांत सुरक्षा और इस वर्ष के अंत में वॉशिंगटन में होने वाले 2+2 मंत्री स्तरीय संवाद की तैयारियों पर चर्चा होगी। अधिकारियों के मुताबिक बातचीत में क्षेत्रीय चुनौतियों और द्विपक्षीय प्राथमिकताओं की भी समीक्षा होगी।

आपको बता दें कि रूबियो बार-बार भारत को महत्वपूर्ण साझेदार बता चुके हैं। वहीं जयशंकर कहते रहे हैं कि भारत एक विभाजित दुनिया में सेतु की भूमिका निभा रहा है।

ऐसे ही गोयल अपने अमेरिकी समकक्षों से मुलाकात करेंगे ताकि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में तेजी लाई जा सके। यह समझौता ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को हटाने का रास्ता खोल सकता है।

दरअसल लंबे समय से चले आ रहे व्यापार विवाद अभी भी बने हुए हैं। मार्केट एक्सेस, टैरिफ, डिजिटल नियम और फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट्स व्यापक पैकेज पर प्रगति को रोक रहे हैं और भारतीय अधिकारी टैरिफ से राहत चाहते हैं।

आपको बता दें कि दोनों ही वार्ताएं भारत-अमेरिका संबंधों की व्यापकता को दिखाती हैं। क्योंकि रणनीतिक वार्ता और व्यापार वार्ता एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। सप्लाई चेन, सेमीकंडक्टर, क्रिटिकल मिनरल्स और क्लीन एनर्जी के लिए सुरक्षा आश्वासन और नियामक स्पष्टता दोनों की आवश्यकता है।

दोनों देशों के संबंधों में प्रगति हुई है। रक्षा समझौते गहरे हुए हैं। ऊर्जा सहयोग बढ़ा है। क्वाड ने अपनी भूमिका का विस्तार किया है। लेकिन अभी भी कुछ दूरियां हैं जो कम होना बाकी हैं।

Comments

Related

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video