अयोध्या का श्री राम मंदिर / x@myogiadityanath
अयोध्या के राम मंदिर में मंगलवार को ध्वजारोहण के साथ निर्माण कार्य का अंतिम चरण पूरा हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 161 फुट ऊंचे शिखर पर 22×11 फुट का भगवा ध्वज फहराया जिसे मंदिर की पूर्णता और उसके आधिकारिक रूप से ‘सक्रिय’ होने का पारंपरिक प्रतीक माना जाता है। यह कार्यक्रम विवाह पंचमी और अभिजीत मुहूर्त में आयोजित किया गया जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
ध्वजारोहण के दौरान पूरा परिसर जय श्री राम के नारों से गूंज उठा। प्रधानमंत्री मोदी, RSS प्रमुख मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस अवसर पर मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने इसे अद्वितीय और आत्मिक क्षण बताते हुए कहा कि यह पल सभ्यता की कृतज्ञता को व्यक्त करता है और सदियों पुराने घावों को भरने का प्रतीक है।
मंदिर प्रशासन के अनुसार, यह ध्वजारोहण जनवरी 2024 में हुई प्राण प्रतिष्ठा से अलग है। प्राण प्रतिष्ठा में राम लला की मूर्ति का अभिषेक हुआ था जबकि ध्वजारोहण को मंदिर के पूर्णतः तैयार और आध्यात्मिक रूप से सक्रिय होने की औपचारिक शुरुआत माना जाता है। एक पुजारी ने इसे मंदिर के सभी 44 द्वारों के खुलने जैसा बताया।
ध्वज के डिजाइन पर विशेष ध्यान दिया गया था। अहमदाबाद में तैयार किए गए इस ध्वज को 25 दिन में बनाया गया और इसे सेना के इंजीनियरों ने हवा के दबाव जैसी परिस्थितियों के लिए जांचा। ध्वज पर सूर्य का चिन्ह राम के सूर्यवंशी वंश को दर्शाता है, साथ ही ‘ॐ’ और कोविदार वृक्ष से जुड़े पारंपरिक प्रतीक भी शामिल हैं जिनका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है।
शहर को इस मौके पर सजाया गया। मंदिर परिसर में लगभग 100 टन फूलों का उपयोग किया गया और सुरक्षा के लिए एंटी-ड्रोन सिस्टम समेत कई परतों वाली व्यवस्था की गई। कार्यक्रम में 6,000 से 8,000 आमंत्रित शामिल हुए जिनमें विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधि और अयोध्या विवाद से जुड़े परिवारों के सदस्य भी मौजूद थे। मंदिर ट्रस्ट ने उनकी मौजूदगी को सुलह और सद्भाव का संकेत बताया।
मुख्य कार्यक्रम के बाद दोपहर में आम दर्शन शुरू किए गए। सोशल मीडिया पर ध्वजारोहण की तस्वीरें और वीडियो तेजी से फैल गए जिनमें लोग इसे भावनात्मक और ऐतिहासिक पल बता रहे हैं। इसके साथ तीन मंजिला नागर-शैली के मंदिर का मुख्य ढांचा अब पूरी तरह तैयार माना जा रहा है। मंदिर में रामायण से जुड़े प्रसंगों को दर्शाते हुए पांच मंडप बने हैं। वाल्मीकि और शबरी को समर्पित मंदिर भी शुरू हो गए हैं। बाहरी प्रांगण, संग्रहालय और अन्य सुविधाएं मार्च 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि राम मंदिर संघर्ष का नहीं, बल्कि समाधान और निरंतरता का प्रतीक है। उन्होंने राम को भारत की आत्मा बताते हुए सभी से भक्ति से कर्तव्य की ओर बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने राम राज के मूल्यों ‘न्याय, एकता और करुणा’ को मार्गदर्शक सिद्धांत बताया।
ध्वजारोहण कार्यक्रम ने मध्यकालीन विवादों से लेकर राजनीतिक घटनाओं, पुरातात्विक जांचों और 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और मंदिर निर्माण की लंबी यात्रा को लगभग पूर्ण विराम दिया। जैसे ही ध्वज हवा में लहराया, अयोध्या ने उस क्षण को देखा जिसे कई लोग मंदिर की अंतिम और संपूर्ण पुनर्स्थापना के रूप में देख रहे हैं।
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