भारतीय पत्रकार कौशिक राज को कोलंबिया यूनिवर्सिटी की ओर से 100,000 डॉलर की स्कॉलरशिप मिलने के बावजूद अमेरिका जाने का वीजा नहीं मिला। उसका वीजा कथित तौर पर मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर खारिज कर दिया गया।
भारतीय मूल के पत्रकार कौशिक राज ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में डेटा जर्नलिज्म पढ़ने के लिए आवेदन किया था और उन्हें न केवल एडमिशन मिला बल्कि एक बड़ी स्कॉलरशिप भी प्राप्त हुई। हालांकि उनका यह सपना अधूरा रह गया क्योंकि अमेरिकी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनका वीजा अस्वीकार कर दिया।
वॉशिंगटन पोस्ट से बातचीत में कौशिक ने बताया कि उनके वीजा रिजेक्शन लेटर में कारण बताया गया था कि भारत से उनके पर्याप्त संबंध नहीं हैं जिससे यह संकेत मिलता है कि वे वीजा समाप्त होने के बाद अमेरिका में ही रुक सकते हैं।
पत्र में लिखा था कि आप यह साबित करने में असमर्थ रहे कि संयुक्त राज्य अमेरिका में आपकी नियोजित गतिविधियां उस नॉन-इमिग्रेंट वीजा श्रेणी के अनुरूप होंगी जिसके लिए आपने आवेदन किया है। पत्र में आगे कहा गया कि आपने यह प्रदर्शित नहीं किया है कि आपके पास ऐसे संबंध हैं जो आपको अपने देश लौटने के लिए मजबूर करेंगे।
हालांकि, कौशिक का कहना है कि यह कारण सिर्फ एक बहाना था और वास्तविक वजह उनके सोशल मीडिया हैंडल्स की गहन जांच थी। कौशिक पेशे से पत्रकार हैं और उन्होंने अल जजीरा, द वायर और आर्टिकल 14 जैसे मीडिया संगठनों के लिए काम किया है। उन्होंने भारत में मुसलमानों के साथ व्यवहार जैसे संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग की थी और अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर वे स्टोरीज साझा की थीं।
उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट को बताया कि उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स के कारण ही अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग ने उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया। ट्रम्प प्रशासन के समय शुरू हुई यह सोशल मीडिया वेटिंग अब इमिग्रेशन प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। इसे वफादारी और संभावित राजनीतिक विचारों को मापने के एक मानक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और इसे लेकर कई वर्गों से आलोचना भी हुई है।
इंटरव्यू के बाद आवेदकों से उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स सार्वजनिक करने को कहा जाता है और उन्हीं अकाउंट्स की जांच के बाद वीजा पर अंतिम निर्णय लिया जाता है। कौशिक के मामले में भी ऐसा ही हुआ। उनका आवेदन तब खारिज कर दिया गया जब उनके निजी अकाउंट्स को सार्वजनिक किया गया और कथित तौर पर उनके पोस्ट्स की जांच की गई।
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