पिछले साल 2 लाख से अधिकता भारतीय लोगों ने नागरिकता छोड़ी। विदेश मंत्रालय ने संसद को बताया कि वर्ष 2024 में लगभग 2.06 लाख भारतीयों ने नागरिकता त्यागी, जो 2023 में 2.16 लाख से कम है। यह आंकड़ा 8 अगस्त को लोकसभा में कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल के एक प्रश्न के उत्तर में साझा किया गया।
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि पिछले साल 2,06,378 लोगों ने भारतीय नागरिकता त्यागी, जबकि 2023 में यह संख्या 2,16,219 और 2022 में 2,25,620 थी।
2021 में यह आंकड़ा 1,63,370 और 2020 में 85,256 था। उन्होंने पुराने संदर्भ आंकड़े भी प्रस्तुत किए, जिनमें बताया गया कि 2011 में यह संख्या 1,22,819 और 2012 में 1,20,923 थी। इन व्यक्तियों ने जिन देशों की नागरिकता प्राप्त की, उनकी सूची संसदीय रिकॉर्ड में अनुलग्नक के रूप में दर्ज की गई है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने इस तरह के त्याग के कारणों का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन कराया है, सिंह ने कहा कि विदेशी नागरिकता लेने का निर्णय व्यक्तिगत था और केवल व्यक्ति को ही इसकी जानकारी थी।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ज्ञान अर्थव्यवस्था के युग में वैश्विक कार्यस्थल की क्षमता को पहचानती है। इसने प्रवासी भारतीयों के साथ अपने जुड़ाव में भी एक परिवर्तनकारी बदलाव दर्शाया है।
सिंह ने कहा कि सरकार के प्रयासों का उद्देश्य प्रवासी समुदाय की क्षमता का पूर्ण उपयोग करना है, जिसमें ज्ञान और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान भी शामिल है। उन्होंने 'सफल, समृद्ध और प्रभावशाली प्रवासी समुदाय' को भारत के लिए एक संपत्ति भी बताया।
मंत्रालय ने युवा पीढ़ी सहित नागरिकता त्याग को कम करने के उद्देश्य से किसी विशिष्ट नए उपायों की रूपरेखा नहीं दी।
विश्व जनसंख्या समीक्षा 2025 से पता चलता है कि विदेशों में बसने वाले भारतीयों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया और कनाडा शीर्ष विकल्प बने हुए हैं। अमेरिका में भारतीय मूल के अनुमानित 54 लाख लोग हैं, इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात में 35-44 लाख, मलेशिया में लगभग 29 लाख और कनाडा में 28 लाख लोग हैं।
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