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जहां गांधी ने खाया था खाना, लंदन के मशहूर ‘वीरास्वामी’ रेस्टोरेंट पर खतरा

ब्रिटेन के कई नामी शेफ ने द टाइम्स को लिखे एक तेज़ और कड़े शब्दों वाले पत्र में चेतावनी दी कि वीरास्वामी को उसकी ऐतिहासिक जगह से हटाना “अपमान” होगा।

लंदन का मशहूर ‘वीरास्वामी’ रेस्टोरेंट / image provided

लंदन की ठंडी सुबह में शहर का रेस्तरां जगत अचानक एकजुट दिखाई दिया। ब्रिटेन का सबसे पुराना भारतीय रेस्टोरेंट वीरास्वामी—जो लगभग 100 साल से रीजेंट स्ट्रीट के ऊपर अपनी शान से खड़ा है, आज अपने इतिहास की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है: अपनी ही इमारत से बेदखल होने का खतरा।

ब्रिटेन के कई नामी शेफ ने द टाइम्स को लिखे एक तेज़ और कड़े शब्दों वाले पत्र में चेतावनी दी कि वीरास्वामी को उसकी ऐतिहासिक जगह से हटाना “अपमान” होगा। Raymond Blanc, Michel Roux Jr., Michael Caines, Cyrus Todiwala, Richard Corrigan, Anthony Demetre, Tom Aikens और Phil Howard जैसे दिग्गजों ने क्राउन एस्टेट से आग्रह किया कि इस “लिविंग लैंडमार्क” को बचाया जाए।

विवाद कैसे शुरू हुआ?
पिछले साल क्राउन एस्टेट ने रेस्टोरेंट के मालिक MW Eat को बताया कि उनका लीज़ आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। क्राउन एस्टेट ऑफिस स्पेस बढ़ाने के लिए वीरास्वामी के ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर का हिस्सा वापस लेना चाहता है।

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हालांकि लीज़ जून 2025 में खत्म हो चुका है, MW Eat ने अपने वैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए कोर्ट के फैसले तक संचालन जारी रखा है। शेफों का कहना है, “इतिहास को कहीं और शिफ्ट नहीं किया जा सकता। इसे ऑफिस में बदलना लंदन के रेस्तरां कल्चर और पर्यटन, दोनों के लिए भारी नुकसान होगा।” क्राउन एस्टेट का तर्क है कि इमारत को आधुनिक मानकों पर लाने के लिए “बड़े पैमाने पर सुधार” जरूरी है, और वे MW Eat को वेस्ट एंड में नई जगह दिलाने और आर्थिक मदद देने को तैयार हैं।

‘हमने इसे संभाला, संवारा... इसे हटाना त्रासदी होगी’
रेस्टोरेंट के मालिक रंजीत माथरानी और उनकी बहनें नमिता और कैमीलिया पंजाबी कहती हैं, “यह दुनिया के सबसे पुराने सर्वाइविंग रेस्टोरेंट्स में से एक है। इसे अपनी 100 साल पुरानी जगह से हटाना बहुत बड़ी क्षति होगी।”

इतिहास से लिपटा रेस्टोरेंट
वीरास्वामी की कहानी 1926 में शुरू हुई, जब इसे Edward Palmer ने खोला, एक ऐसे व्यक्ति ने जिसकी परदादी मुगल राजकुमारी थीं और जो वॉरेन हेस्टिंग्स के सैन्य सचिव थे। पहला मेन्यू भी उनकी परदादी की रसोई के स्वाद से प्रेरित था। रेजेंसी रूम और वेरांडा रूम की सजी हुई दीवारें, पारंपरिक डिजाइन और शाही चित्र आज भी उस विरासत को संभाले हुए हैं।

यह रेस्टोरेंट दशकों से दुनिया की नामी हस्तियों का पसंदीदा ठिकाना रहा है-महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, चार्ली चैपलिन, विंस्टन चर्चिल, प्रिंसेस ऐन और रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय जैसे दिग्गज यहां आ चुके हैं। अपने मेहमानों और माहौल की वजह से यह जगह सिर्फ एक रेस्टोरेंट नहीं, बल्कि भारतीय-ब्रिटिश इतिहास का एक जीवंत पुल बन गई है।

अब फैसला अदालत पर
अब देखते हैं अदालत किस ओर झुकती है। अगर MW Eat केस जीतता है, तो वीरास्वामी अपनी 100वीं वर्षगांठ उसी ऐतिहासिक जगह पर मना सकेगा। अगर हारता है, तो यह प्रतिष्ठित रेस्टोरेंट केवल यादों में रह जाएगा। फिलहाल, रेस्टोरेंट पहले की तरह ही रोशनी से भरा, रीजेंट स्ट्रीट के ऊपर चमकता हुआ, अपने मेहमानों का स्वागत कर रहा है—लेकिन यह जानते हुए कि इसकी अगली साँस अब अदालत के फैसले पर टिकी है।

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