Raja Krishnamoorthi /
अमेरिकी कांग्रेस सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने गृह सुरक्षा विभाग (DHS) से निजी ठेकेदारों को प्रवासियों की खोज के लिए नियुक्त करने की कथित योजना को रद्द करने की अपील की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम सरकार की सबसे सख्त शक्तियों को निजी लाभ के लिए आउटसोर्स कर देगा और इससे सार्वजनिक निगरानी से परे दुरुपयोग की आशंका बढ़ जाएगी।
10 नवंबर को DHS सचिव क्रिस्टी नोएम को लिखे पत्र में इलिनॉय के डेमोक्रेट सांसद और हाउस कमेटी ऑन ओवरसाइट एंड गवर्नमेंट रिफॉर्म के वरिष्ठ सदस्य कृष्णमूर्ति ने इस प्रस्ताव को बाउंटी हंटर मॉडल करार देते हुए गंभीर चिंता जताई।
उन्होंने लिखा कि यह योजना निजी व्यक्तियों को प्रवासी समुदायों के सदस्यों को खोजने, निगरानी करने और रिपोर्ट करने की अनुमति देगी और बदले में उन्हें प्रदर्शन आधारित आर्थिक इनाम मिलेगा।
कृष्णमूर्ति ने कहा कि जब सरकार निजी ठेकेदारों को इस आधार पर भुगतान करती है कि वे कितने लोगों को ढूंढ या गिरफ्तार कर सकते हैं तो यह उन्हें बाउंटी हंटर बना देती है। ऐसी प्रणाली जो कोटा और नकद इनाम पर आधारित हो और जिस पर निगरानी कम हो उसमें गलतियां होना तय है।
उन्होंने चेतावनी दी कि लाभ-प्रेरित ठेकेदारों को प्रवर्तन शक्तियां देना ऐसा ढांचा बनाएगा जो सामान्य जांच और संतुलन के दायरे से बाहर होगा। उन्होंने आगे लिखा कि जब नागरिक यह समझ नहीं पाते कि सरकार के नाम पर कौन कार्य कर रहा है तब भरोसा डर में बदल जाता है। कानून और सहमति की जगह जब भ्रम और दबाव से शासन होता है तो सरकार अपनी वैधता खो देती है।
कृष्णमूर्ति ने इलिनॉय की एक घटना का उल्लेख किया जिसमें DHS अधिकारियों ने एक अमेरिकी नागरिक महिला को सिर्फ उसके रूप-रंग के आधार पर उसके पासपोर्ट की प्रामाणिकता पर शक करते हुए हिरासत में लिया था। उन्होंने कहा कि यदि निजी ठेकेदारों को ऐसी शक्तियां दी गईं तो इससे कानून पालक लोगों में भय और बढ़ जाएगा।
रिपोर्टों के अनुसार इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) एजेंसी लगभग 180 मिलियन डॉलर तक की राशि निजी कंपनियों को आवंटित करने की योजना बना रही है ताकि वे उन प्रवासियों का पता लगा सकें जिनके पते सत्यापित नहीं हैं।
क्रिश्नमूर्ति ने अपने पत्र के अंत में लिखा कि लाभ कमाने वाले ठेकेदारों को प्रवासन प्रवर्तन सौंपना सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास को कमजोर करता है। यह ऐसी व्यवस्था को सामान्य बना सकता है जो अमेरिकी मूल्यों और विधिक प्रक्रिया के विपरीत है।
बता दें कि DHS ने अभी तक इस पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और न ही इस योजना की पुष्टि की है। उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में सांसद और मानवाधिकार समूह इस मामले में और निगरानी की मांग करेंगे।
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