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भारतीय मूल के एक्सपर्ट्स का खास शोध, तंत्रिका समस्याओं के लिए अहम

बफेलो यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के एक्सपर्ट्स की टीम ने RNA क्लस्टर को लेकर खास स्टडी की है, जो न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के इलाज में अहम साबित हो सकती है।

प्रिय बनर्जी और थारुन सेल्वम महेंद्रन /

बफेलो यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के वैज्ञानिक प्रिय बनर्जी और उनके छात्र थारुन सेल्वम महेंद्रन के नेतृत्व में एक रिसर्चर्स की टीम ने यह पता लगाया है कि कोशिकाओं के अंदर हानिकारक RNA क्लस्टर कैसे बनते हैं और उन्हें कैसे तोड़ा जा सकता है। इस शोध के निष्कर्ष को नेचर केमिस्ट्री में प्रकाशित किया गया, जो एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) और  हंटिंगटन रोग जैसी  तंत्रिका संबंधी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के इलाज में अहम साबित हो सकता है।

भारतीय मूल की टीम के अध्ययन को यू.एस. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और सेंट जूड चिल्ड्रन रिसर्च हॉस्पिटल ने सपोर्ट किया। जिसमें आरएनए कैसे रोग से जुड़े क्लंप बनाते हैं, यह स्पष्ट किया गया है। शोधकर्ताओं का दावा है कि RNA को बीमारियों का क्लंप बनाने से रोका भी जा सकता है। 
 

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