शीर्ष (बाएं से दाएं) राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना, अमी बेरा (नीचे बाएं से दाएं) प्रमिला जयपाल, सुहास सुब्रमण्यम / File Photo
अमेरिकी संसद के दोनों सदनों में Epstein Files Transparency Act के भारी बहुमत से पास होने के बाद भारतीय अमेरिकी सांसदों ने इसकी सराहना की है। यह विधेयक 18 नवंबर को प्रतिनिधि सभा में 427–1 के अभूतपूर्व द्विदलीय समर्थन से पारित हुआ और उसके बाद तेजी से सीनेट से भी मंजूरी मिली।
इस कानून को भारतीय अमेरिकी प्रतिनिधि रो खन्ना ने सह-लेखित किया है। अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हस्ताक्षर होने मात्र बाकी है। इसके लागू होने पर संघीय एजेंसियों को जेफरी एप्स्टीन से जुड़े सभी unclassified रिकॉर्ड सार्वजनिक करने होंगे।
रो खन्ना ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य वर्षों से एप्स्टीन-सम्बंधित दस्तावेजों को अपारदर्शी तरीके से संभालने की प्रथा को समाप्त करना और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा कि यह लड़ाई राजनीति की नहीं बल्कि मानवता की है। बहादुर सर्वाइवर्स के लिए न्याय और उस एप्स्टीन नेटवर्क के खिलाफ सच्चाई को उजागर करना जिसे वर्षों से सुरक्षा मिली हुई थी। यह बिल हमारे खराब सिस्टम में बदलाव की दिशा में बड़ा कदम है।
हाउस ओवरसाइट कमेटी में शामिल प्रतिनिधि सुहास सुब्रमण्यम ने कहा कि यह वोट तकनीकी रूप से आवश्यक नहीं होना चाहिए था क्योंकि समिति पहले ही रिकॉर्ड्स के लिए समन जारी कर चुकी है।
उन्होंने कहा कि हमारे पास एप्स्टीन एस्टेट द्वारा जारी की गई कुछ फाइलें हैं लेकिन FBI और DOJ के पास अभी भी दसियों हजार दस्तावेज पड़े हैं। सर्वाइवर्स और अमेरिकी जनता सच्चाई की हकदार है।
वहीं अन्य भारतीय अमेरिकी सांसदों ने भी इसी मांग को दोहराया। प्रतिनिधि अमी बेरा ने लिखा कि हाउस और सीनेट स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि एप्स्टीन फाइलें सार्वजनिक की जानी चाहिए। बेरा ने राष्ट्रपति से बिना देरी के कार्रवाई की अपील की।
प्रतिनिधि प्रमिला जयपाल ने कहा कि अब जिम्मेदारी व्हाइट हाउस पर है और सांसद न्याय, जवाबदेही और सच्चाई के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।
विधेयक का पारित होना उन वर्षों के दबाव के बाद हुआ है जिसमें सर्वाइवर्स, पारदर्शिता समर्थकों और सांसदों ने तर्क दिया कि एप्स्टीन के नेटवर्क, यात्रा इतिहास और पिछली जांचों से जुड़े कई महत्वपूर्ण रिकॉर्ड withheld किए गए या सीमित रूप में जारी किए गए हैं।
हालांकि कुछ दस्तावेज एप्स्टीन एस्टेट और सिविल मुकदमों के जरिए सार्वजनिक हुए हैं लेकिन सांसदों का कहना है कि FBI और न्याय विभाग के पास मौजूद बड़े भंडार अभी भी सामने नहीं आए हैं। यह बिल एजेंसियों को व्यवस्थित रूप से रिकॉर्ड जारी करने के लिए बाध्य करेगा, सिवाय उन मामलों के जिनमें चल रही जांच या पीड़ितों की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने पहले इस तरह के अनिवार्य प्रकटीकरण प्रयासों का विरोध किया था। यदि वे इस पर हस्ताक्षर करते हैं तो एजेंसियों को रिकॉर्ड एक सार्वजनिक मंच पर उपलब्ध कराने होंगे जिससे एप्स्टीन मामले की लंबे समय से चल रही जांच का नया अध्याय शुरू हो जाएगा।
हाउस और सीनेट में लगभग सर्वसम्मति से मिला समर्थन हाल के वर्षों में पारदर्शिता के लिए सबसे मजबूत द्विदलीय प्रयासों में से एक माना जा रहा है, हालांकि कई विशेषज्ञ इस बात पर नजर रखे हुए हैं कि कानून बनने के बाद कार्यपालिका इसे कितनी तेजी और पूरी तरह लागू करती है।
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