अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के योगदान को आंकने वाली अपनी तरह की यह पहली रिपोर्ट है। / सांकेतिक तस्वीर
अमेरिका में रहने वाले भारतीयों की संख्या 2023 में बढ़कर 5 मिलियन हो चुकी है। 2010 के मुकाबले यह 50% ज्यादा है। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि अमेरिका में भारतीय प्रवासी जिस तरह आबादी में बढ़ी है, परोपकारी कार्यों में उनका योगदान भी बढ़ा है। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की तरफ से किए गए एक शोध की जानकारी देते हुए इंडियास्पोरा ने बताया है कि भारतीय मूल के अमेरिकी परिवार विभिन्न कार्यों में सालाना 1.5 से दो अरब डॉलर का योगदान देते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 2008 के बाद से भारतीय मूल के लोगों ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों को 3 बिलियन डॉलर का दान दिया है। इसमें 40 से अधिक विश्वविद्यालयों को एक मिलियन डॉलर से ज्यादा के लगभग 65 दान शामिल हैं। उल्लेखनीय योगदान में अमर बोस की तरफ से एमआईटी को दिए गए दो बिलियन डॉलर और राजन किलाचंद की तरफ से बोस्टन विश्वविद्यालय को दिए गए 140 मिलियन डॉलर प्रमुख हैं।
इंडियास्पोरा इम्पैक्ट रिपोर्ट: स्मॉल कम्युनिटी, बिग कंट्रीब्यूशंस नाम की यह रिपोर्ट अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के योगदान को आंकने वाली अपनी तरह का पहला प्रयास है। अमेरिका में प्रवासियों के दूसरे सबसे बड़े समूह के बारे में यह रिपोर्ट सार्वजनिक सेवा, व्यापार, संस्कृति और नवाचार पर केंद्रित है। यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब आव्रजन देश में एक विवादास्पद मुद्दा बन चुका है।
इंडियास्पोरा के संस्थापक एमआर रंगास्वामी कहते हैं कि भारतीय मूल के अमेरिकियों का देश की आबादी में केवल 1.5 प्रतिशत हिस्सा है, इसके बावजूद समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उनका सकारात्मक योगदान काफी ज्यादा है। देश के निचले तबके की भलाई के लिए भारतीय-अमेरिकियों के इनोवेशन देश के आर्थिक विकास के अगले चरण का आधार तैयार कर रहे हैं।
अमेरिकियों के जीवन पर भारतीय डायस्पोरा के कुछ दूरगामी प्रभाव इस तरह हैं:
अमेरिकी अर्थव्यवस्था
साइंस एंड इनोवेशन
खाद्य एवं संस्कृति
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