प्रतीकात्मक तस्वीर / pexels
भारत ने दूरसंचार क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। स्पेक्ट्रम विशेषज्ञ संस्था पॉलिसीट्रैकर की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब ‘ट्रू 5G’ यानी स्टैंडअलोन 5G (5G SA) कनेक्टिविटी के मामले में कई यूरोपीय देशों से आगे निकल गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मोबाइल यूज़र्स को औसतन 20 प्रतिशत ट्रू 5G एक्सेस मिल रहा है, जबकि फ़िनलैंड में यह आंकड़ा 15%, स्पेन में 10% और ब्रिटेन में मात्र 4% है।
5G SA बनाम 5G NSA - ‘सच्चा’ और ‘नकली’ 5G
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में उपयोगकर्ता 5G स्टैंडअलोन (5G SA) नेटवर्क से जुड़ रहे हैं, जो 4G सिस्टम पर निर्भर नहीं है और पूरी तरह नई तकनीक पर आधारित है। इसके उलट यूरोप के ज़्यादातर देशों में अभी भी 5G नॉन-स्टैंडअलोन (5G NSA) चल रहा है, जो 4G नेटवर्क पर निर्भर करता है।
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PolicyTracker ने 5G NSA को ‘फेक 5G’ करार दिया है, क्योंकि यह फोन पर 5G का आइकन तो दिखाता है, लेकिन वास्तव में उपयोगकर्ता 4G बेस स्टेशन से ही कनेक्टेड रहते हैं। इससे यूज़र्स को वास्तविक 5G अनुभव नहीं मिल पाता।
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