भारत की संसद की एक समिति ने चेतावनी दी है कि डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) में कर्मचारियों की भारी कमी देश की हवाई सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
रिपोर्ट में क्या कहा गया?
रिपोर्ट में कहा गया है कि डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) में तकनीकी और रेगुलेटरी स्टाफ के लगभग आधे पद खाली पड़े हैं। समिति ने इस स्थिति को भारत की एविएशन सेफ्टी सिस्टम के लिए गंभीर खतरा बताया। यह रिपोर्ट जून में हुए एयर इंडिया ड्रीमलाइनर हादसे में 260 लोगों की मौत और उत्तर भारत में हाल के दिनों में हुई कई हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं की पृष्ठभूमि में पेश की गई।
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एटीसी कर्मियों की मुश्किलें
एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स की संख्या कम होने की वजह से उन पर काम का दबाव लगातार बढ़ रहा है। स्थिति यह है कि कई कंट्रोलर्स को पूरा प्रशिक्षण भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा ड्यूटी टाइम लिमिट के नियमों का पालन नहीं हो रहा, जिससे कंट्रोलर्स पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इससे थकान बढ़ने के साथ गलती की संभावना भी काफी अधिक हो जाती है।
भर्ती की समस्या
डीजीसीए में भर्ती की प्रक्रिया काफी पुरानी और धीमी है, जिस पर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। खुद नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भी इस प्रणाली को धीमा और लचीलेपन से रहित बताया है। इस वजह से विभाग को योग्य और अनुभवी लोगों को आकर्षित करने में लगातार दिक्कत हो रही है, जिससे खाली पद लंबे समय तक भरे नहीं जा पा रहे हैं। मामले में नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा है कि सरकार अक्टूबर तक 190 पद भरेगी, हालांकि कुल 500 से ज्यादा पद खाली हैं।
समिति की सिफारिशें
समिति ने सुझाव दिया है कि डीजीसीए में जल्द से जल्द विशेष भर्ती अभियान चलाया जाए, ताकि खाली पद भरे जा सकें और सुरक्षा मानकों को मजबूत किया जा सके। साथ ही, जरूरत पड़ने पर एक नई नियामक संस्था बनाने की बात भी कही गई है। इसके अलावा समिति ने जोर देकर कहा कि एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स के ड्यूटी टाइम नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए, ताकि थकान और मानवीय गलती की संभावना को कम किया जा सके।
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