न्यूयॉर्क सिटी में अब एक सड़क का नाम आधिकारिक रूप से नौवें सिख गुरु श्री गुरु तेग बहादुर के नाम पर रखा गया है। श्री गुरु तेग बहादुर धार्मिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों की रक्षा के लिए अपने सर्वोच्च बलिदान के लिए जाने जाते हैं।
रिचमंड हिल स्थित 114वीं स्ट्रीट और 101वीं एवेन्यू का हिस्सा अब गुरु तेग बहादुर जी मार्ग के नाम से जाना जाएगा। यहां ऐतिहासिक गुरुद्वारा मखन शाह लुबाना स्थित है। यह पहली बार है जब न्यूयॉर्क सिटी की किसी सड़क का नाम किसी सिख गुरु के नाम पर रखा गया है।
यह नामकरण लोकल लॉ 10 ऑफ 2025 के तहत किया गया है। यह सिटी काउंसिल के बिल Int. No. 1153-2024 का हिस्सा है। यह प्रस्ताव काउंसिल मेंबर शेखर कृष्णन द्वारा पेश किया गया था और 40 से अधिक काउंसिल सदस्यों ने इसका समर्थन किया था। इस पहल का नेतृत्व काउंसिल मेंबर लिन शुलमैन ने किया था जो डिस्ट्रिक्ट 29 का प्रतिनिधित्व करती हैं और सिटी काउंसिल की हेल्थ कमेटी की चेयर हैं।
लिन शुलमैन ने X पर लिखा कि इतिहास में पहली बार न्यूयॉर्क सिटी की किसी सड़क का नाम सिख गुरु तेग बहादुर जी के नाम पर रखा गया है। यह उनके त्याग, करुणा और न्याय के प्रति अडिग समर्पण की विरासत को सम्मान देने वाला कदम है।
भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी इस निर्णय की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सिख संगत के लिए गर्व का क्षण है। यह सम्मान न केवल रिचमंड हिल में सिख समुदाय की अहमियत को दर्शाता है बल्कि न्यूयॉर्क सिटी की सांस्कृतिक विविधता में सिख विरासत के योगदान को भी पहचान देता है।
पुरी ने न्यूयॉर्क में अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि जब वे 2009 से 2013 तक संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि थे तब उन्होंने इस क्षेत्र की जीवंत सिख संस्कृति को करीब से देखा था।
सप्ताहांत में दीवाली समारोह के साथ ही इस नामपट्टिका का उद्घाटन हुआ। क्वींस के स्थानीय सिख समुदाय और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस अवसर पर एकत्र होकर खुशी जताई। सामाजिक कार्यकर्ता मरियम सिंह ने X पर लिखा कि यह एक ऐतिहासिक पल है। क्वींस की 114वीं स्ट्रीट अब ‘गुरु तेग बहादुर जी मार्ग’ कहलाएगी। यह 9वें सिख गुरु के त्याग, करुणा और न्याय के लिए अडिग खड़े रहने की विरासत को सम्मान देने वाला कदम है।
बता दें कि गुरु तेग बहादुर जिन्हें हिंद दी चादर यानी भारत की ढाल कहा जाता है। वह वर्ष 1675 में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने के लिए याद किए जाते हैं।
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