जब हाउस फॉरेन अफेयर्स सबकमिटि ऑन साउथ एंड सेंट्रल एशिया अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी पर सुनवाई के लिए इकट्ठा हुई, तो डेमोक्रेटिक सदस्यों ने 'ट्रम्प की नाकाम विदेश नीति' की आलोचना करने वाला एक पोस्टर दिखाया। / IANS
अमेरिकी कांग्रेस की एक अहम सुनवाई में डेमोक्रेटिक नेताओं ने चेतावनी दी कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीति और भारत के प्रति टकराव वाली रणनीति अमेरिका की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारियों में से एक को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।
यह सुनवाई हाउस फॉरेन अफेयर्स सबकमेटी ऑन साउथ एंड सेंट्रल एशिया में हुई जहां डेमोक्रेटिक रैंकिंग मेंबर सिडनी कम्लेगर-डव ने कहा कि ट्रम्प दशकों की द्विदलीय प्रगति को पीछे ले जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन ने ट्रम्प को सबसे मजबूत दौर में भारत-अमेरिका संबंध सौंपे थे। एक मजबूत क्वाड, उभरती रक्षा-तकनीकी साझेदारी और भरोसेमंद सप्लाई चेन पार्टनर के रूप में भारत है। लेकिन उनकी नीतियां इस प्रगति को ‘टॉयलेट में फ्लश’ कर रही हैं।
कम्लेगर-डव ने कड़ी चेतावनी दी कि अगर ट्रम्प ने रास्ता नहीं बदला तो इतिहास उन्हें उस अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में याद करेगा जिसने भारत को खो दिया। उन्होंने कहा कि रणनीतिक साझेदारों को विरोधियों की तरफ धकेलकर कोई नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलता।
मुख्य विवाद का मुद्दा ट्रम्प के 25 प्रतिशत ‘लिबरेशन डे टैरिफ’ और इसके ऊपर भारत द्वारा रूस से खरीदे तेल पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क था।
कम्लेगर-डव ने कहा कि भारत पर टैरिफ दर अभी चीन से भी ज्यादा है। यह नीति खुद को ही नुकसान पहुंचाने वाली है। डेमोक्रेट्स ने H-1B वीजा पर 100,000 डॉलर शुल्क लगाने को भी अमेरिका में भारतीयों के योगदान का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत H-1B वीजाधारक भारतीय हैं और यह शुल्क लोगों के बीच बने विश्वास पर हमला है।
ORF America के ध्रुव जयशंकर ने गवाही में कहा कि व्यापार वार्ता 13 फरवरी से पहले शुरू हो चुकी थी और जुलाई तक दोनों देश समझौते के करीब थे। उन्होंने कहा कि भारत सक्रिय रूप से मुक्त व्यापार समझौतों की दिशा में बढ़ रहा है और राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो समाधान संभव है।
विशेषज्ञों ने चेताया कि इस टैरिफ तनाव से चीन का मुकाबला करने और सप्लाई चेन मजबूत करने जैसे अहम रणनीतिक मुद्दे पीछे छूट सकते हैं।
एक गवाह ने कहा कि यह साझेदारी अमेरिका के लिए कम लागत और ज्यादा लाभ वाली रही है। इसे त्यागना भारी रणनीतिक गलती होगी। सुनवाई ने साफ कर दिया कि टैरिफ विवाद अब अमेरिका–भारत संबंधों का सबसे संवेदनशील और राजनीतिक रूप से गरम मुद्दा बन चुका है और इसके वैश्विक असर दूर तक जा सकते हैं।
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