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BRICS Summit: भारत ने व्यापार, निवेश, अर्थव्यवस्था की स्थिरता पर दिया जोर

ब्रिक्स देशों ने एक अहम वर्चुअल समिट में संघर्ष के प्रभावों को दूर करने, अर्थव्यवस्था की मजबूती, बहुपक्षवाद सुधार समेत कई मुद्दों पर चर्चा की।

ब्रिक्स समिट में डॉ. एस जयशंकर / X/@DrSJaishankar

ब्रिक्स देशों के वर्चुअल समिट में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कई अहम मुद्दे उठाए। यूएस टैरिफ वृद्धि पर वैश्विक चिंताओं को बीच उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता पर जो दिया। उन्होंने कहा कि विश्व, व्यापार और निवेश के लिए एक स्थिर और पहले से अनुमान लगाये जाने योग्य वातावरण चाहता है। जो कि आर्थिक और व्यवहारिक रूप से निष्पक्ष, पारदर्शी और सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने वाला हो। 

वर्चुअल समिट को संबोधिक करते हुए डॉ. एस जयशंकर ने कई बड़ी बातें कहीं।  अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली के खुलेपन, निष्पक्ष, पारदर्शी और गैर-भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण जैसे मूलभूत सिद्धांतों की रक्षा की जरूरी है। हमारा उद्देश्य इसे ऐसे झटकों से बचाने वाला होना चाहिए, जो अस्थाई हैं। 

समिट में जयशंकर ने कहा कि विश्व को टिकाऊ व्यापार को बढ़ावा देने के लिए रचनात्मक और सहयोगात्मक दृष्टिकोण की जरूरत है। उन्होंने कहा, बाधाएं बढ़ाने और लेन-देन को जटिल बनाने से कोई मदद नहीं मिलेगी। न ही व्यापार उपायों को गैर-व्यापारिक मामलों से जोड़ने से कोई मदद मिलेगी।

लूला दा सिल्वा ने आयोजित किया समिट
बता दें कि ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने वॉशिंगटन की व्यापार एवं टैरिफ नीतियों की वजह से हुए व्यापार व्यवधानों पर चर्चा के लिए यह शिखर सम्मेलन आयोजित किया। जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ब्रिक्स के कई अन्य नेता उपस्थित रहे। जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रतिनिधित्व किया।

समिट की 10 बड़ी बातें-
यह समिट ब्राजील के राष्ट्रपति लूला द सिल्वा द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कई बड़ी बातें कहीं, जो निम्न हैं-

  1. व्यापार और निवेश में अस्थिरता, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) एजेंडे में स्पष्ट रूप से धीमी गति देखी गई है। इन चुनौतियों के सामने, बहुपक्षीय व्यवस्था दुनिया के लिए विफल होती दिख रही है। इतने सारे गंभीर तनावों को को लेकर ब्रिक्स समग्र रूप से मंथन कर रहा है। 
  2. अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और विश्व व्यवस्था को स्थिर करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अलावा मिडिल ईस्ट में तनाव, रूस- यूक्रेन संघर्ष, बहुपक्षवाद में सुधार पर विचारों के आदान-प्रदान पर जोर दिया गया। 
  3. अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश के लिए एक पूर्वानुमानित और स्थिर वातावरण तैयार करने की आवश्यकता बताई गई, जो आर्थिक प्रथाओं की निष्पक्षता, पारदर्शी और सभी के हित में हों। इसके अलावा  विनिर्माण और उत्पादन को लोतंत्रीकरण के जरिए सुलझाने और विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में विकास के लिए प्रोत्साहन देने की बात कही गई।  
  4. व्यापार पैटर्न और बाजार पहुंच आज वैश्विक आर्थिक विमर्श समेत कई प्रमुख मु्द्दों पर चर्चा की गई। ब्रिक्स स्वयं अपने सदस्य देशों के के साथ व्यापार सुधारों की दिसा में कदम बढ़ा सकता है। एस जयशंकर के मुताबिक, जहां तक भारत का सवाल है, कुछ सबसे बड़े घाटे ब्रिक्स भागीदारों के साथ हैं और उनका शीघ्र समाधान के लिए प्रयास किया जा रहा है। 
  5. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली खुले, निष्पक्ष, पारदर्शी, गैर-भेदभावपूर्ण, समावेशी, न्यायसंगत और विकासशील देशों के लिए विशेष और विभेदक व्यवहार के साथ नियम-आधारित दृष्टिकोण के मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है। भारत का दृढ़ विश्वास है कि इसे संरक्षित और पोषित किया जाना चाहिए।
  6. दक्षिणी देशों में अपनी खाद्य, ऊर्जा और उर्वरक सुरक्षा में गिरावट देखी गई। वहीं ना केवल व्यापार, बल्कि आजीविका भी प्रभावित होती है। चयनात्मक संरक्षण वैश्विक समाधान नहीं हो सकता। शत्रुता का शीघ्र अंत और एक स्थायी समाधान सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक प्रयास, हमारे सामने स्पष्ट मार्ग है।
  7. पिछले कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के कामकाज में कई क्षेत्रों में बड़ी कमियाँ देखी गई हैं। प्रमुख मुद्दों पर, दुर्भाग्य से, हमने देखा है कि गतिरोधों ने साझा आधार की खोज को कमजोर कर दिया है। इन अनुभवों ने सामान्य रूप से सुधारित बहुपक्षवाद, और विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र और उसकी सुरक्षा परिषद, की आवश्यकता को और अधिक आवश्यक बना दिया है। 
  8. वर्चुअल मीटिंग में जलवायु परिवर्तन की स्थिति ने निपटने के लिए नई सोच और पहल की भी आवश्यकता है।  
  9. अंत में, मैं आज हमें बुलाने के लिए राष्ट्रपति लूला का फिर से धन्यवाद करता हूँ। और 
  10. समिट में भारत के विचारों और दृष्टिकोणों स्पष्ट रूप रखा गया। राष्ट्रपति लूला की ओर आयोजित समिट बदलते वैश्विक दौर में अहम है। यूएस टैरिफ वृद्दि के बाद उपजी स्थिति का कैसे समाधान किया जा सके, इस पर गहन मंथन किया गया।  

 

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