FBI ने अमेरिकी नागरिकों से लगभग 40 मिलियन डॉलर की ठगी मामले में बड़ी कार्रवाई की है। इसके तहत एक साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का खुलासा हुआ है। यह एक्शन संघीय एजेंसी ने भारत की केंद्रीय एजेंसी CBI मिलकर लिया। जिसमें साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क के प्रमुख लोगों को गिरफ्तार किया। इस बीच अमेरिकी दूतावास ने एक बयान जारी कर इस FBI- CBI की इस संयुक्त कार्रवाई की प्रशंसा की है।
साइबर ठगी के केस में कार्रवाई कर रही जांच एजेंसियों FBI- CBI को अमृतसर स्थित खालसा महिला कॉलेज के सामने स्थित ग्लोबल टावर में 'डिजिकैप्स द फ्यूचर ऑफ डिजिटल' नाम से संचालित कॉल सेंटर अहम सुराग हाथ लगे। पूछताछ और दस्तावेजों को खंगालने पर पता चला कि वर्ष 2023 से अमेरिकी नागरिकों से 350 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की है।
अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो के साथ मिलकर चलाए गए इस अभियान में गिरोह के तीन प्रमुख गुर्गों - जिगर अहमद, यश खुराना और इंदर जीत सिंह बाली को गिरप्तार किया गया है। जांच के दौरान उनके आवास से 54 लाख रुपये, आठ मोबाइल और लैपटॉप के साथ-साथ अपराध से संबंधित डिजिटल साक्ष्य बरामद किए गए हैं।
साझा एक्शन की दूतावास ने की प्रशंसा
अंतरराष्ट्रीय ठगी नेटवर्क के भंडाफोड़ के लिए अमेरिकी दूतावास ने यूएस और भारत की संघीय एजेंसियों ने बड़ी गंभीरता से कार्य किया। ऐसे में भारतीय दूतावास ने एक बयान जारी कर इस कार्रवाई की प्रशंसा की।
A big week for #USIndia law enforcement collaboration. India’s CBI, in close coordination with the U.S. @FBI, dismantled a transnational cybercrime syndicate that defrauded U.S. nationals of nearly $40M through tech-support scams — and arrested key figures behind the cyber fraud…
— U.S. Embassy India (@USAndIndia) August 27, 2025
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एक्स पर एक पोस्ट में यूस में भारत के दूतावास ने कहा, "एक मजबूत समन्वय के साथ एक अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध सिंडिकेट का भंडाफोड़ हुआ है। इस ठगी नेटवर्क ने अमेरिकी नागरिकों से लगभग 40 मिलियन डॉलर की ठगी की थी। साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क के प्रमुख लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। यह कार्रवाई साझा खुफिया जानकारी और समन्वित कार्रवाई के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्कों को ध्वस्त करने, भविष्य में होने वाले घोटालों को रोकने और हमारे नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए मिलकर काम कर रही हैं। इस कार्रवाई की दूतावास प्रशंसा करता है। इस साझेदारी और समर्थन के लिए धन्यवाद।"
क्या है मामला?
40 लाख मिलियन डॉलर की धोखाधड़ी मामले की 18 अगस्त को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मामले में भारत की केंद्रीय एजेंसी CBI ने 20 अगस्त से अमृतसर और दिल्ली में तलाशी अभियान शुरू किया। जांच जैसे- जैसे आगे बढ़ी इसका दायरा पंजाब से लेकर वाशिंगटन डीसी तक बढ़ा। यह सामने आया कि साइबर ठगी के इस नेटवर्क के जरिए अमेरिकी नागरिकों को भी निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में FBI भी इस मामले में जांच कर रही थी।
सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, "2023-2025 के दौरान, आरोपियों ने पीड़ितों के कंप्यूटर सिस्टम और बैंक खातों तक अनधिकृत रिमोट एक्सेस प्राप्त करके अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने की साजिश रची।"
रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके, धोखेबाजों ने अमेरिकी नागरिकों के कंप्यूटर सिस्टम और बैंक खातों तक पहुंच बनाई और फिर उन्हें विश्वास में लिया गया। आरोपियों ने यूएस नागरिकों से कहा कि उनका धन सुरक्षित नहीं है, ऐसे में इसे क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट में ट्रांसफर करना उचित होगा और फिर 4 करोड़ अमेरिकी डॉलर (350 करोड़ रुपये) ट्रांसफर कराए गए।"
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