चीन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी और टैरिफ वॉर के बीच भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक दोस्ताना संदेश दिया है। भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक पोस्ट कर दोनों देशों की दोस्ती को 21वीं सदी की सबसे मजबूत साझेदारी बताया है।
भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि भारत और अमेरिका की साझेदारी नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है। यह 21वीं सदी का सबसे मजबूत रिश्ता है। इस महीने हम उन लोगों, प्रगति और संभावनाओं को सामने ला रहे हैं जो हमें इन्वोवेशन, उद्यमिता से लेकर रक्षा और द्विपक्षीय रिश्तों में आगे बढ़ा रहे हैं।
इस पोस्ट के साथ अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो का बयान भी साझा किया गया हैं। रुबियो उसमें कह रहे हैं कि भारत और अमेरिका के लोगों के बीच स्थायी दोस्ती ही हमारे सहयोग की नींव है और यही हमारे आर्थिक रिश्ते की अपार संभावनाओं को साकार करती है।
The partnership between the United States and India continues to reach new heights — a defining relationship of the 21st century. This month, we’re spotlighting the people, progress, and possibilities driving us forward. From innovation and entrepreneurship to defense and… pic.twitter.com/tjd1tgxNXi
— U.S. Embassy India (@USAndIndia) September 1, 2025
आपको मालूम होगा कि अभी दोनो देशों के बीच रिश्तों में तनाव है। 27 अगस्त से ट्रम्प प्रशासन के दौरान घोषित 50 प्रतिशत टैरिफ भारतीय सामानों पर लागू कर दिए हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प भारत को बार-बार टैरिफ किंग कह चुके हैं और रूस से तेल और हथियारों की खरीद को इसकी वजह बताते हैं। उन्होंने भारत पर रूस-यूक्रेन के बीच चल युद्ध का भी आरोप लगाया है। उनका मानना है कि भारत रूस से तेल खरीदकर युद्ध को पोषित कर रहा है।
वहीं टैरिफ पर भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मंचों पर भारतीयों को आश्वासन दिया है कि वह छोटे उद्यमियों, किसानों और पशुपालकों के हितों की रक्षा करेंगे। मोदी का ये कहना इसलिए मायने रखता है क्योंकि ट्रम्प चाहते हैं कि भारत कृषि और डेयरी सेक्टर को अमेरिका के लिए खोले। जबकि भारत का कहना है कि इससे करोड़ों भारतीयों की आजीविका पर असर पड़ेगा।
आपको बता दें कि ट्रम्प के लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के फैसले से आने वाले महीनों में भारतीय निर्यातकों पर दबाव बढ़ सकता है। यह मोदी सरकार के लिए चुनौती है और यही वजह है कि भारत, चीन के साथ भी संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहा है।
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