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सुरंगन की संगीत संध्या में कादरी किबरिया और रूपा घोष की सुरीली प्रस्तुति

कार्यक्रम की शुरुआत में सुरंगन म्यूज़िक स्कूल की संस्थापक और जानी-मानी टैगोर गायिका रूपा घोष ने अतिथियों का स्वागत किया और कादरी किबरिया को सम्मान स्वरूप उत्तरीय पहनाया।

सुरंगन की संगीत संध्या / Image Provided

सुरंगन म्यूज़िक स्कूल की ओर से रविवार को मिशन सिएरा रिक्रिएशन सेंटर में एक मनमोहक संगीत संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें प्रसिद्ध रवीन्द्र संगीत गायिका कादरी किबरिया और रूपा घोष ने अपनी सुरमई प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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कार्यक्रम की शुरुआत में सुरंगन म्यूज़िक स्कूल की संस्थापक और जानी-मानी टैगोर गायिका रूपा घोष ने अतिथियों का स्वागत किया और कादरी किबरिया को सम्मान स्वरूप उत्तरीय पहनाया।

कादरी किबरिया, जो रवीन्द्र संगीत की सबसे सम्मानित आवाज़ों में से एक मानी जाती हैं, ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत टैगोर के देशभक्ति गीत 'ओ अमार देशेर माटी' से की। उनके बाद रूपा घोष ने 'आमी तोमारी माटिर कन्या' गाकर दर्शकों की वाहवाही लूटी। दोनों कलाकारों ने फिर कई रवीन्द्र संगीत गीतों को एकल और युगल रूप में प्रस्तुत किया, जिसने पूरे सभागार में भावनाओं और माधुर्य की लहर दौड़ा दी।

कार्यक्रम की झलकियां। / Image provided

कार्यक्रम के अंतिम हिस्से में कादरी किबरिया ने कुछ लोकप्रिय बंगाली क्लासिक गीत जैसे 'पृथिबी आमारे चाहे' और 'ए सुंदर स्वर्णाली शंध्या' गाकर वातावरण को पुरानी यादों से भर दिया। स्थानीय कलाकारों — खालिद ज़ुल्फ़िकार ख़ान, अमित सरकार, सुकोन्या दे, बिथी आहद, परवीन कुलसुम, झरना सरकार, रूना नसरीन, शर्मिष्ठा साहा, खैरुन नाहर और दिलरुबा मुन्ना — ने मिलकर टैगोर के प्रसिद्ध समूह गीत 'प्राण भरिये तृषा हरिये' और 'आनंदलोके मंगललोके' की सामूहिक प्रस्तुति दी।

संगीत कार्यक्रम का संचालन ज़ुल्फ़िकार ख़ान और कुलसुम परवीन ने किया, जबकि मोंदिरा (ताल वाद्य) पर आलोक रॉय ने संगत दी। अंत में कार्यक्रम में सहयोग देने वाले स्वयंसेवी विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट ऑफ अप्रिशिएशन देकर सम्मानित किया गया। बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोताओं ने इस संगीतमय शाम को बंगाली संस्कृति और संगीत के प्रति एक अद्भुत श्रद्धांजलि बताया।

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