भारतीय विवाह की प्रतीकात्मक तस्वीर। / sandbox studios
भारतीय समाज में अरेंज्ड मैरिज यानी तय विवाह की परंपरा सदियों पुरानी है। लेकिन समय, तकनीक और वैश्वीकरण के साथ यह परंपरा भी खुद को नए रूप में ढाल रही है। खासतौर पर भारतीय-अमेरिकी समुदाय में, जहां लोग अपने मूल देश से हजारों मील दूर रहते हैं, इंटरनेट और ग्लोबल कनेक्टिविटी ने अरेंज्ड मैरिज को खत्म नहीं किया, बल्कि इसे एक नया जीवन दिया है।
पहले जहां रिश्ते तय करने का दायरा परिवार, रिश्तेदारों और मोहल्ले के जान-पहचान तक सीमित रहता था, वहीं आज वही भूमिका आधुनिक मैट्रिमोनियल वेबसाइट्स निभा रही हैं। Shaadi.com और BharatMatrimony जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म अब नए जमाने के ‘ऑनलाइन बिचौलिए’ बन चुके हैं, जो दुनिया भर में फैले भारतीय समुदाय को आपस में जोड़ रहे हैं।
डिजिटल मैचमेकिंग का उदय
पहली पीढ़ी के भारतीय प्रवासियों के लिए जीवनसाथी की तलाश एक भरोसेमंद लेकिन सीमित सामाजिक दायरे में होती थी। यह व्यवस्था साझा मूल्यों, परंपराओं और पारिवारिक विश्वास पर टिकी होती थी। आज, इंटरनेट ने इस दायरे को तोड़कर करोड़ों प्रोफाइल्स तक पहुंच बना दी है।
इन वेबसाइट्स के जरिए परिवार और युवा अब केवल स्थानीय समुदाय पर निर्भर नहीं रहते, बल्कि अलग-अलग देशों में बसे सांस्कृतिक रूप से समान जीवनसाथी तलाश सकते हैं। यह बदलाव खासतौर पर उन छोटे प्रवासी समुदायों के लिए अहम है, जहां पहले उपयुक्त रिश्तों की संख्या बेहद कम होती थी।
हालांकि इसे अब भी “अरेंज्ड मैरिज” कहा जाता है, लेकिन यह पहले जैसी नहीं रही। यह एक “मॉडर्न अरेंज्ड मैरिज” है, जिसमें व्यक्तिगत पसंद और पारिवारिक सहमति दोनों को बराबर महत्व मिलता है।
शादी की एक तस्वीर। / sandbox studiosदूसरी पीढ़ी की नई भूमिका
आज की युवा पीढ़ी, खासकर दूसरी पीढ़ी के भारतीय-अमेरिकी, केवल दर्शक नहीं हैं। वे खुद अपनी प्रोफाइल बनाते हैं, बातचीत शुरू करते हैं और माता-पिता के साथ मिलकर रिश्तों पर फैसला लेते हैं। यानी वे खुद भी ‘को-मैचमेकर’ बन चुके हैं।
न्यूयॉर्क में रहने वाली भारतीय-अमेरिकी नेहा एन. कहती हैं, “लोगों को लगता है कि अरेंज्ड मैरिज में बस किसी को दिखाया जाता है और शादी तय हो जाती है। जबकि सच यह है कि यह सिर्फ एक परिचय होता है। किससे मिलना है, डेट पर जाना है या नहीं—इस पर पूरा कंट्रोल हमारा होता है। मैट्रिमोनियल साइट्स परिवार की भूमिका को खत्म नहीं करतीं, बल्कि उसे ऑनलाइन दोहराती हैं।”
पहचान और पसंद के बीच संतुलन
दूसरी पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा बदलाव उनकी सोच में दिखाई देता है। अमेरिका में पले-बढ़े इन युवाओं की प्राथमिकताएं भारतीय संस्कृति और पश्चिमी मूल्यों का मिश्रण हैं। वे परंपरा को बचाना चाहते हैं, लेकिन सिर्फ रीति-रिवाज निभाने वाले साथी की जगह ऐसे जीवनसाथी की तलाश करते हैं, जो बौद्धिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से बराबरी का हो।
जय एस. कहते हैं, “मैं अरेंज्ड मैरिज का विकल्प इसलिए चुनना चाहता हूं ताकि मुझे ऐसा साथी मिले, जिसके साथ मैं सहज महसूस कर सकूं और जिसे मेरा परिवार भी स्वीकार करे। मैं चाहूं तो परिवार की बात अनदेखी कर सकता हूं, लेकिन उनके भाव मेरे लिए मायने रखते हैं।”
परंपरा नहीं, निरंतर विकास
आज की अरेंज्ड मैरिज कोई पुरानी या जबरन थोपी गई व्यवस्था नहीं रही। यह एक आधुनिक, सोच-समझकर लिया गया फैसला बन चुकी है, जिसमें परिवार की जड़ें भी हैं और व्यक्ति की आज़ादी भी। भारतीय-अमेरिकी युवाओं के लिए “मॉडर्नाइजिंग मैट्रिमनी” का मतलब है—अपनी सांस्कृतिक पहचान को संभालते हुए व्यक्तिगत पसंद को खुलकर अपनाना। यह एक चुनौतीपूर्ण लेकिन खूबसूरत सफर है, जिसमें इंटरनेट और वैश्विक संपर्क नए साधन बनकर सामने आए हैं।
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