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भारतीय-अमेरिकी मेयरों का उदय: न्यूयॉर्क से न्यू जर्सी तक दबदबा

इसी महीने अमेरिका में हुए ‘ऑफ-ईयर’ चुनावों में तीन और भारतीय-अमेरिकी मेयर—हेमंत मराठे, आफताब पुरेवाल और सैम जोशी भी दोबारा चुने गए।

भारतीय अमेरिकी नेता / image provided

अमेरिका के सबसे बड़े और प्रभावशाली शहर न्यूयॉर्क का मेयर चुने जाने के बाद जोहरान ममदानी आज भारतीय-अमेरिकी समुदाय की नई पहचान बन चुके हैं। न्यूयॉर्क सिटी ‘स्ट्रॉन्ग मेयर मॉडल’ पर चलती है, जहां मेयर शहर सरकार के CEO की शक्तियों के साथ काम करता है। ममदानी अब पुलिसिंग, स्कूलों, हाउसिंग, सिटी सर्विसेज, सार्वजनिक संपत्तियों और 1.10–1.15 लाख करोड़ रुपये (110–115 बिलियन डॉलर) के वार्षिक बजट का संचालन करेंगे। यह अमेरिका का सबसे बड़ा नगर निगम बजट है। उनके अधीन 3.25 लाख कर्मचारी और 11 लाख से अधिक छात्रों वाला अमेरिका का सबसे बड़ा पब्लिक स्कूल सिस्टम भी आता है।

ममदानी की जीत ने भारतीय-अमेरिकी नेतृत्व के बढ़ते प्रभाव की ओर भी ध्यान खींचा है। इसी महीने अमेरिका में हुए ‘ऑफ-ईयर’ चुनावों में तीन और भारतीय-अमेरिकी मेयर—हेमंत मराठे, आफताब पुरेवाल और सैम जोशी—भी दोबारा चुने गए।

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न्यू जर्सी से ओहायो तक भारतीय-अमेरिकी मेयरों की बढ़ती ताकत

हेमंत मराठे (वेस्ट विंडसर, न्यू जर्सी)
वेस्ट विंडसर के पहले भारतीय-अमेरिकी मेयर मराठे तीसरी बार चुने गए। IIT बॉम्बे से शिक्षा लेकर अमेरिका में बसे मराठे वर्षों से कम्युनिटी लीडर रहे हैं। उनकी प्राथमिकताएँ—आर्थिक विकास, संतुलित शहरीकरण और फिस्कल अनुशासन।

सैम जोशी (एडिसन, न्यू जर्सी)
34 वर्षीय सैम जोशी एडिसन के पहले भारतीय-अमेरिकी मेयर हैं और दोबारा बड़े अंतर से जीते। उनकी कैंपेन का फोकस था—कम टैक्स, मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और ओवर-डेवलपमेंट रोकना।

आफताब पुरेवाल (सिनसिनाटी, ओहायो)
तिब्बती-भारतीय मूल के पुरेवाल दोबारा चुने गए। वह शहर के पहले एशियाई-अमेरिकी मेयर हैं। उनके कार्यकाल में हाउसिंग, ग्रीन इकॉनमी, सार्वजनिक सुरक्षा और आर्थिक असमानता के मुद्दों पर सुधार देखने को मिला।

सिलिकॉन वैली से वर्जीनिया तक- नई पीढ़ी के मेयर

राज सलवान (फ्रीमोंट, कैलिफ़ोर्निया)
2024 में फ्रीमोंट के पहले भारतीय-अमेरिकी मेयर चुने गए। पंजाब के गांव से अमेरिका आए सलवान बे एरिया की भारतीय-अमेरिकी आबादी में खासे लोकप्रिय हैं। बेघर संकट, ट्रैफिक, पब्लिक सेफ्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर उनकी प्राथमिकताएँ हैं।

डॉ. डैनी अवुला (रिचमंड, वर्जीनिया)
हैदराबाद में जन्मे अवुला 2024 में रिचमंड के मेयर बने। सार्वजनिक स्वास्थ्य में लंबा अनुभव होने के कारण उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामुदायिक सुरक्षा पर जोर दिया।

उपेंद्र शिवकुला (फ्रैंकलिन टाउनशिप, न्यू जर्सी—2000)
भारतीय-अमेरिकी राजनीति में अग्रदूत माने जाते हैं। वे न्यू जर्सी विधानसभा तक पहुंचे और कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे।

सविता वैद्यनाथन (क्यूपर्टिनो, कैलिफ़ोर्निया)
सिलिकॉन वैली के तकनीकी शहर की पहली भारतीय-अमेरिकी मेयर रहीं। शिक्षा और कम्युनिटी वर्क में सक्रिय।

रवि भल्ला (होबोकन, न्यू जर्सी)
अमेरिका के पहले सिख मेयरों में से एक। वे नागरिक अधिकारों के वकील हैं और हाल ही में न्यू जर्सी जनरल असेंबली के लिए चुने गए।

भारतीय-अमेरिकी राजनीतिक शक्ति बन रहे हैं
डेमोक्रेटिक नेता अजय जैन भुटोरिया के अनुसार, भारतीय-अमेरिकी मेयरों की बढ़ती संख्या दिखाती है कि समुदाय अब सिर्फ पेशेवर सफलता तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सक्रिय राजनीतिक शक्ति बन रहा है। भुटोरिया ने कहा, “ये नेता समुदाय को राजनीतिक रूप से जागरूक होने, वोट डालने और चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं।” इंडियास्पोरा के कार्यकारी निदेशक संजीव जोशीपुरा मानते हैं कि मेयरों की भूमिका बहुत प्रभावशाली होती है, अफोर्डेबल हाउसिंग, सुरक्षा, शिक्षा और आर्थिक विकास जैसे बड़े मुद्दे सीधे उनके नियंत्रण में होते हैं।

सभी मेयरों की ताकत एक जैसी नहीं
इमेजइंडिया इंस्टिट्यूट के रोबिंदर सचदेव के मुताबिक, यह समझना जरूरी है कि अमेरिका में सभी मेयरों के पास समान शक्ति नहीं होती। जैसे न्यूयॉर्क का मेयर मजबूत कार्यकारी शक्तियों वाला होता है। जबकि कई शहरों में काउंसिल–मैनेजर मॉडल लागू है, जहां असली प्रशासन एक प्रोफेशनल सिटी मैनेजर चलाता है।

भारतीय-अमेरिकी राजनीतिक नेतृत्व- अब नई ऊंचाइयों पर
जोहरान ममदानी की ऐतिहासिक जीत के साथ और पुरेवाल, मराठे, सलवान, जोशी जैसे नेताओं की सफलता यह दिखाती है कि भारतीय-अमेरिकी अब अमेरिकी राजनीति में मजबूती से स्थापित हो चुके हैं। ये नेता न सिर्फ शहरों का संचालन कर रहे हैं, बल्कि अमेरिका की मुख्यधारा राजनीति में भारतीय आवाज़ को और मजबूत बना रहे हैं।

 

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