भारतीय मूल के अंजन कर्नाटी / image provided
अमेरिका में 27 साल से रह रहे 65 वर्षीय अंजन कर्नाटी अब न्यू जर्सी के मिडलसेक्स काउंटी कमिश्नर पद के लिए चुनावी मैदान में हैं। आईटी पेशेवर से छोटे व्यवसायी बने कर्नाटी की चुनावी मुहिम स्थानीय लोगों की समस्याओं पर केंद्रित है, कम प्रॉपर्टी टैक्स, बेहतर सुरक्षा और अत्यधिक विकास से पैदा हुए असंतुलन पर नियंत्रण उनके प्रमुख वादे हैं।
कर्नाटी कहते हैं, 'मैं राजनीति से ऊपर इंसानियत और विकास को प्राथमिकता देता हूं। मेरा फोकस काउंटी में आर्थिक विकास और छोटे व्यवसायियों के लिए सरकारी अड़चनों को खत्म करने पर रहेगा।' हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से गणित और सांख्यिकी में पढ़ाई करने के बाद कर्नाटी 1998 में अमेरिका आ गए थे। दो दशक तक आईटी क्षेत्र में काम करने के बाद उन्होंने खुद का व्यवसाय शुरू किया।
भारतीय-अमेरिकी समुदाय का समर्थन
उनकी उम्मीदवारी को भारतीय-अमेरिकी समुदाय का व्यापक समर्थन मिल रहा है। कर्नाटी बताते हैं, 'मेरे समर्थन में भारत के अलग-अलग राज्यों से आए भारतीय-अमेरिकी एकजुट हो रहे हैं। वे मानते हैं कि मैं उनकी आवाज़ बन सकता हूं।'
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राजनीतिक रुझान में बदलाव
कर्नाटी का कहना है कि न्यू जर्सी में भारतीय-अमेरिकियों के राजनीतिक झुकाव में बदलाव आ रहा है। पहले जहां यह समुदाय पारंपरिक रूप से डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर झुका हुआ था, अब कई भारतीय-अमेरिकी रिपब्लिकन मूल्यों की ओर रुझान दिखा रहे हैं। वे मानते हैं कि लंबे समय से डेमोक्रेटिक गढ़ रहे न्यू जर्सी में अब परिवर्तन का समय आ गया है।
राजनीति में भागीदारी की अपील
कर्नाटी कहते हैं, 'भारतीय-अमेरिकियों को अब राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए ताकि हमारी आवाज़ प्रशासन तक पहुंचे।' वे मानते हैं कि 35 वर्षों से एक ही पार्टी के शासन के बाद 'नई नेतृत्व और कॉमन सेंस' की जरूरत है।
चुनावी समर्थन और मुद्दे
कर्नाटी को न्यू जर्सी रिपब्लिकन पार्टी और एशियन-अमेरिकन रिपब्लिकन कोएलिशन (AARC) का समर्थन प्राप्त है। उनके समर्थन में बिहार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पाकिस्तान मूल के अमेरिकी संगठनों ने भी साथ दिया है। वे कहते हैं, 'यह चुनाव सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि पूरे भारतीय-अमेरिकी समुदाय का है। हमें सिस्टम का हिस्सा बनना होगा।'
अहम मुद्दे
कर्नाटी के मुताबिक, न्यू जर्सी में बढ़ते प्रॉपर्टी टैक्स, कमज़ोर इंफ्रास्ट्रक्चर और पारदर्शिता की कमी प्रमुख समस्याएं हैं। वे कहते हैं, 'सरकारी फिजूलखर्ची रोकना और हर मोहल्ले की सुरक्षा सुनिश्चित करना मेरी प्राथमिकता होगी।' साथ ही, वे स्कूलों में पाठ्यक्रम की पारदर्शिता और माता-पिता के अधिकारों की वकालत करते हैं। कर्नाटी कानूनी प्रवासियों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं, लेकिन सैंक्चुअरी सिटीज़ के खिलाफ हैं। दिवाली के मौके पर उन्होंने कहा, 'यह त्योहार हमारी भारतीय विरासत को मनाने का समय था। राजनीति से परे जाकर हम सब एकजुट हुए और बदलाव की भावना को साझा किया।'
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