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फिल्म समीक्षा : सुंदर पात्रों के साथ शिल्प का चतुर संयोजन है जोया की द आर्चीज़

फिल्म इस चतुराई से बनाई गई है कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन अभिनेताओं को बहुत अधिक आलोचना का सामना न करना पड़े।

चर्चा में है जोया अख्तर की हालिया निर्देशित फिल्म 'द आर्चीज़' Image : social media /

जोया अख्तर की हालिया निर्देशित फिल्म 'द आर्चीज़' चर्चा में है क्योंकि यह प्रसिद्ध बॉलीवुड सितारों की संतानों की पहली फिल्म है। दर्शक इन बच्चों की प्रस्तुति देखने के लिए उत्सुक थे। फिल्म को हल्की आलोचना भी मिली और रिलीज से पहले ही दर्शकों द्वारा इसे 'नेपोकिड्स' फिल्म कहा जा रहा था। एक हलचल तब हुई जब बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री रवीना टंडन ने फिल्म के कलाकारों को ट्रोल करने वाली एक सोशल मीडिया पोस्ट को लाइक कर दिया। हालांकि बाद में रवीना ने इसे एक घटना बताते हुए सार्वजनिक तौर पर माफी मांग ली थी।

यह देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म को दर्शकों, खासकर हिंदी भाषी दर्शकों के बीच कैसा रेस्पॉन्स मिलता है। Image : social media

बेशक, फिल्म इस चतुराई से बनाई गई है कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन अभिनेताओं को बहुत अधिक आलोचना का सामना न करना पड़े। प्रत्येक किरदार को सौंपी गई भूमिकाएं चुनौतीपूर्ण नहीं हैं इसीलिए अभिनेता उनके साथ न्याय करते दिखते हैं। इन सभी युवाओं को अभी लंबा सफर तय करना है। खासकर फिल्मों में मुख्य भूमिकाएं निभाना और फिल्म की कहानी को अपने कंधों पर उठाने के लिहाज से। फिल्म में अपने पसंदीदा 'ग्रीन पार्क' को कॉर्पोरेट अधिग्रहण के कारण होटल में बदलने से बचाने की कोशिश कर रहे 7 युवाओं द्वारा निभाए गए मुख्य किरदार मोहक हैं।

जब फिल्म खूबसूरत रिवरडेल की सड़कों पर यात्रा करती है तो कथानक और दृश्य पुरानी यादें ताजा कर देते हैं। सूक्ष्म विवरणों पर ध्यान देने के साथ पूरी फिल्म में निर्देशकीय विवरण अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर हैं। लकड़ी की व्हीलचेयर से लेकर जंग लगी कंस्ट्रक्शन क्रेन और उस समय के मशहूर सोडा गोल्ड स्पॉट की बोतल तक। गाने बहुत हैं, जिनमें से कई की दरकार नहीं थी। ढेर सारे गानों में कहानी खोई हुई लगती है।

जब डांस की बात आती है तो आर्ची एंड्रयूज की भूमिका निभाने वाले अगस्त्य नंदा अप्रत्याशित रूप से आश्चर्य पैदा करते हैं। उनमें एक अच्छा कलाकार बनने के लिए आवश्यक कुशलता और लचीलापन है। फिल्म में अन्य कलाकारों की तुलना में उनका अभिनय भी शानदार है। अगस्त्य की अपने मामा और अभिनेता अभिषेक बच्चन से समानता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और उन्हे एक संभावित स्टार बनाने का वादा करती है।

सुहाना खान और ख़ुशी कपूर द्वारा अभिनीत वेरोनिका और बेटी के बीच का बंधन दिल को प्रसन्न करता है लेकिन दोनों को अपने अभिनय कौशल में सुधार करने की आवश्यकता है। लेकिन फिर भी यह आशाजनक है। उन्हें दी गई भूमिकाएं उनके पात्रों के साथ न्याय करने के लिए असाधारण शिल्प की मांग नहीं करतीं। सुहाना को एक अमीर राजकुमारी के रूप में चित्रित किया गया है जिसमें गलत होने की ज्यादा गुंजाइश नहीं है। दूसरी ओर ख़ुशी एक मध्यवर्गीय लड़की की भूमिका निभाती है जो अपने पिता की किताबों की दुकान में मदद करती है। यह हमें अतीत में अमीर और गरीब के बीच दोस्ती के कई ऐसे ही कथानकों की याद दिलाती है।

मिहिर आहूजा, डॉट, वेदांग रैना और युवराज मेंडा द्वारा निभाए गए जुगहेड, एथेल, रेगी और दिल्टन के किरदार बहुत मिलनसार हैं और सभी युवा कलाकार प्रशंसा के पात्र हैं। अच्छे निर्देशन और अच्छे अभिनय के जरिए कहानी की गहराई बनाए रखने के लिए फिल्म के सभी सह अभिनेताओं के साथ-साथ जोया अख्तर भी निश्चित रूप से सराहना की पात्र हैं।

ऐसा लगता है कि 'द आर्चीज़' के पास एक बहुत ही विशिष्ट लक्षित दर्शक वर्ग है। खासकर जब हम व्यावसायिक सिनेमा के बारे में बात करते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म को दर्शकों, खासकर हिंदी भाषी दर्शकों के बीच कैसा रेस्पॉन्स मिलता है। अलबत्ता मैं सभी से इसे देखने का आग्रह करूंगी, जिसके कई कारण हैं। कमान संभालने के लिए जोया बधाई की पात्र हैं।

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