ADVERTISEMENT

ADVERTISEMENT

पायल कपाड़िया जुड़ीं ‘डॉक प्रोड्यूसिंग साउथ’ से, डॉक्यूमेंट्री में टैलेंट को बढ़ावा

भारतीय फिल्मकार पायल कपाड़िया ने दक्षिण एशियाई डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकिंग को नई ऊर्जा देने वाले एक महत्वपूर्ण पहल से जुड़कर एक नया अध्याय शुरू किया है। इस पहल में शौनक सेन और सुष्मित घोष जैसे दिग्गज भी शामिल हैं, जो इस क्षेत्र के डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माताओं को सशक्त बनाने में मदद करेंगे।

भारतीय फिल्मकार पायल कपाड़िया। / Berlinale Talents

भारतीय फिल्मकार पायल कपाड़िया ‘डॉक प्रोड्यूसिंग साउथ’ (Doc Producing South) नाम के एक खास प्रोजेक्ट से जुड़ गई हैं। इस प्रोजेक्ट का मकसद दक्षिण एशिया के डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकिंग टैलेंट को बढ़ावा देना है। इस क्रिएटिव प्रोड्यूसिंग लैब में 'ऑल दैट ब्रीद' जैसी फिल्म बनाने वाले शौनक सेन और पीबॉडी अवॉर्ड विनर सुष्मित घोष जैसे दिग्गज फिल्ममेकर भी शामिल हैं।

पायल ने Variety से बातचीत में बताया कि डॉक प्रोड्यूसिंग साउथ के जरिए वे एक ऐसा मंच देना चाहती हैं, जहां डॉक्यूमेंट्री फिल्मों पर काम कर रहे लोग अपनी जानकारियां साझा कर सकें और एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम बन सके। यह पहल एक गहन मेंटरशिप प्रोग्राम के जरिए डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर्स की मदद करती है और यह कार्यक्रम 1 से 5 सितंबर तक दिल्ली में होगा।

इस वर्कशॉप के लिए छह प्रोड्यूसर-डायरेक्टर टीमों को चुना जाएगा, जिनके पास फीचर डॉक्यूमेंट्री प्रोजेक्ट होंगे। कार्यक्रम में प्रपोजल डेवलपमेंट, बजट बनाना, फाइनेंसिंग, डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रेटेजी और राइट्स नेगोशिएशन जैसे विषय शामिल होंगे। साथ ही, व्यक्तिगत ट्रेनिंग और जुलाई 2026 तक ऑनलाइन मेंटरशिप भी दी जाएगी।

अनिर्बान दत्ता और अनुपमा श्रीनिवासन ने मिलकर ‘डॉक प्रोड्यूसिंग साउथ’ की शुरुआत की थी ताकि फिल्म इंडस्ट्री में एक कमी को पूरा किया जा सके। अनिर्बान की फिल्म ‘Nocturnes’ सन्डांस 2024 में वर्ल्ड सिनेमा डॉक्यूमेंट्री प्रतियोगिता में प्रीमियर हुई थी। उन्होंने वेराइटी को बताया कि दक्षिण एशिया में क्रिएटिव प्रोड्यूसिंग टैलेंट की बहुत कमी है। उन्होंने कहा कि यह पहल इस कमी को पूरा करेगी और नॉन-फिक्शन प्रोड्यूसर्स के बीच क्षमता बढ़ाएगी।

अनुपमा ने कहा कि दुनिया में उपनिवेशवादी और शोषणकारी ढांचे को चुनौती देने के कई तरीके हैं। उनका मानना है कि डॉक्यूमेंट्री बनाना उनमें से एक है। इसके अलावा दक्षिण एशिया के फिल्ममेकर्स के लिए सपोर्ट के मंच बनाना दूसरा तरीका है।

NoCut फिल्म कलेक्टिव की को-फाउंडर और भारतीय फिल्ममेकर आर्या रोथे ने बताया कि दक्षिण एशिया में डॉक्यूमेंट्री, फिल्ममेकिंग का माहौल बदल रहा है। उन्होंने कहा कि अब यह जरूरी हो गया है कि इस क्षेत्र के देशों में प्रोड्यूसर्स को मजबूत बनाया जाए और ऐसे फंडिंग मॉडल खोजे जाएं, जिससे वे ज्यादा आत्मनिर्भर बन सकें। 

 

 

Comments

Related

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video