(संगीता शंकर)
कैलिफोर्निया में हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की क्षेत्रीय निदेशक के रूप में पिछले एक साल में मुझे दुनिया भर में हिंदुओं के साथ जुड़ने का सौभाग्य मिला है। वैश्विक हिंदू डायस्पोरा की कहानियों को सामने लाने के हमारे अभियान के तहत हाल ही में कैलिफोर्निया के फिजी के हिंदू समुदाय से संपर्क हुआ।
हमने वॉरियर ट्राइब फिल्म्स के ऑस्ट्रेलियाई फिजियन हिंदू फिल्म निर्माता रवि चंद के साथ सहयोग किया। वह अपनी फिल्मों के माध्यम से हिंदुओं की यथार्थवादी, मानवीय कहानियों को सामने लाते हैं। अपनी आस्था व संस्कृति को संरक्षित करने को लेकर उनके संघर्षों का वर्णन करते हैं।
उनकी नई फिल्म 'नमस्ते योग' योग और इसे अपनाने वाले एक ऑस्ट्रेलियाई हिंदू परिवार के संघर्षों की मार्मिक कहानी है। फिल्म का उद्देश्य हिंदू आस्था और संस्कृति की गहरी समझ को बढ़ावा देना है। एचएएफ कैलिफोर्निया ने हेवर्ड और सैक्रामेंटो में फिजी समुदायों द्वारा संचालित प्रतिष्ठित हिंदू मंदिरों में इस फिल्म की स्क्रीनिंग की थी। वर्चुअल सवाल जवाब का दौर भी चला जिसमें उपस्थित लोगों को फिल्म निर्माता के साथ बातचीत करने और फिल्म के बारे में जानने का अवसर मिला।
मुझे भी फिजी की हिंदू संस्कृति और इसके गौरव के बारे में विस्तार से जानने का मौका मिला। पता चला कि फिजी का हिंदू समुदाय अपनी आस्था और संस्कृति को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए किस तरह मेहनत कर रहा है। मूल रूप से भारत में बिहार के रहने वाले इन लोगों को गिरमिटिया के रूप में जाना जाता है। गिरमिटिया मजदूरों ने जिस तरह से मेहनत और लगन से अपना संसार आबाद किया है, वह धीरे-धीरे सामने आ रहा है। मेरे लिए यह सब जानना एक समृद्ध अनुभव रहा।
इसी दौरान मुझे एचएएफ के धार्मिक मामलों के राजदूत संदीप सिंह से मिलने का मौका मिला। सैक्रामेंटो में फिल्म स्क्रीनिंग में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यहां मैं उनकी फिजी हिंदू की पहचान को लेकर हुई बातचीत साझा करना चाहती हूं।
मुझे अपनी फिजी हिंदू पहचान के बारे में बताएं।
फिजी में परवरिश के दौरान मुझे अपने वंश और विश्वास के बारे में अपनी आजी (नानी) की कहानियां सुनने को मिली थीं। मैं जल्दी ही समझ गया कि कि जीवन का उद्देश्य सिर्फ अपने लिए काम करना नहीं है, यह प्रकृति और ईश्वर से संबंध बनाने के बारे में भी है। बचपन में हम रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी और होली जैसे त्योहारों का बेसब्री से इंतजार करते थे। मेरे पसंदीदा त्योहार नवरात्रि और दिवाली थे। बचपन के अनुभवों ने मेरे अंदर हिंदू होने का गौरव प्रदान किया। फिजी हिंदू की मेरी पहचान मुझे मेरे वंश से जोड़ती है, सर्वोच्च शक्ति से मेरा संबंध बनाती है।
अमेरिका में फिजी हिंदू होने का क्या मतलब है?
अमेरिका में फिजी हिंदू होने के नाते मुझे अपनी धार्मिक प्रथाओं और आस्थाओं को व्यक्त करने की आजादी है। यहां हम कीर्तन, मंत्र, भजनों और प्रवचनों के जरिए अपनी आस्था का पालन कर सकते हैं, गुरु से शास्त्रीय ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। यहां मैं बिना रोकटोक के हिंदू धर्म की आस्थाओं का पालन कर सकता हूं, दूसरों को प्रेरित कर सकता हूं। इसके अलावा, अमेरिका में फिजी हिंदू होना अन्य वैश्विक हिंदुओं के समान ही है क्योंकि हमारे पूर्वजों ने भी रामायण, भागवत और उपनिषद जैसे धार्मिक ग्रंथों के अनुरूप अपनी जिंदगी बिताई है।
आप अपने बच्चों को अपनी फिजी हिंदू पहचान के बारे में कैसे सिखाते हैं?
मैं अपने बच्चों को घर हो या बाहर, एक हिंदू के रूप में कार्य करने के लिए प्रेरित करता हूं। हम एक परिवार के रूप में एक साथ सीखते हैं, गीता-पुराणों को पढ़ते हैं, कीर्तन करते हैं और मंदिर जाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात कि मैं हिंदू अमेरिकी के रूप में अपने अनुभवों को बच्चों से साझा करता हूं। मैं उन्हें 'वसुधैव कुटुम्बकम' (दुनिया एक परिवार है) की विचारधारा सिखाता हूं।
आखिर में कहूं तो संदीप सिंह के साथ मेरी यह बातचीत काफी रोचक रही। हमने विभिन्न समुदाय से होने के बावजूद अपनी समानताओं को महसूस किय। इसने ये मिथक भी तोड़ दिया कि सभी हिंदू भारतीय हैं। इसने दिखाया कि दुनिया भर में हिंदुओं की समृद्ध विरासत है। विविधता के बावजूद हम सभी साझा मूल्यों और आस्थाओं से जुड़े हुए हैं।
हमारे पूर्वजों को भले ही अपनी पसंद से या जोर जबर्दस्ती से, खुशी से या अफसोस के साथ, आराम से या मुश्किलों में रहकर भारत से प्रवास करना पड़ा हो, लेकिन इस सबके बावजूद उन्होंने अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक व आध्यात्मिक पहचान को बनाए रखा है और फल-फूल रहे हैं।
धर्मो रक्षति रक्षितः
(लेखक हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की कैलिफोर्निया क्षेत्रीय निदेशक हैं)
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