कहते हैं भारत की आत्मा गांवों में बसती है, लेकिन आधुनिकीकरण की दौड़ में पुरानी प्रथाएं, परंपराएं और विरासत धुंधली पड़ती जा रही हैं। हालांकि अतुल्य भारत में अब भी देखने लायक अनगिनत विरासत स्थल हैं। क्या आपको पता है कि भारत का पहला हेरिटेज विलेज कहां पर है? नहीं जानते तो आइए बताते हैं।
गांव में कांगड़ा, राजपूत, ब्रिटिश, पुर्तगाली और इतालवी शैली की इमारतें हैं। फोटो साभार सोशल मीडिया
हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी में स्थित परागपुर या प्रागपुर को भारत का पहला हेरिटेज विलेज कहा जाता है। राज्य सरकार ने 1997 में इसे हेरिटेज विलेज के रूप में मान्यता दी थी। परागपुर का नाम राजकुमारी पराग देई के नाम पर रखा गया था जिन्होंने मुगल साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह किया था।
परागपुर का नाम राजकुमारी पराग देई के नाम पर रखा गया था। फोटो साभार सोशल मीडिया
इस गांव की स्थापना 16वीं शताब्दी में कुठियाला सूद ने जसवां शाही परिवार की राजकुमारी प्राग देवी की याद में की थी। मुगलों और ब्रिटिश दोनों द्वारा शासित रहा यह गांव अपने विशिष्ट सांस्कृतिक मूल्यों, अनूठी वास्तुकला और प्राचीन सुंदरता के कारण प्रसिद्ध है।
परागपुर में एक जजेज कोर्ट भी है। फोटो साभार सोशल मीडिया
कहा जाता है कि गांव के लोगों ने बहुत सी विदेश यात्राएं की थीं और वहां से लौटकर उसी शैली में घर, मकान, हवेलियां, स्कूल और अस्पताल आदि बनाए। इसी वजह से इस गांव में कांगड़ा, राजपूत, ब्रिटिश, पुर्तगाली और इतालवी शैली की इमारतें मौजूद हैं।
परागपुर में किले जैसे घर, हवेलियां, और विला हैं। यहां की घुमावदार गलियां, मिट्टी से पुती दीवारें और झुकाव वाली छतें मन मोह लेती हैं। यहां पर 1931 में बनी लाला रेरूमल हवेली है, जिसमें मुगल शैली में बना बगीचा और एक बड़ा जल भंडार है। एक जजेज कोर्ट भी है। इसके अलावा कई प्राचीन मंदिर भी हैं।
यहां भारत के सबसे सुंदर हैरीटेज होटलों में से एक कोर्टज होटल भी है जो खूबसूरत वादियों के बीच 2000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। परागपुर के बीचोंबीच 200 वर्ष पुराना एक तालाब भी है जिसे सिटी ऑफ हार्ट के नाम से जाना जाता है। गांव अपने कुटीर उद्योग के लिए भी जाना जाता है।
परागपुर हेरिटेज विलेज ऐसे लोगों के लिए परफेक्ट जगह है, जो घर से दूर ठेठ पहाड़ी कांगड़ा परिवेश वाले गांव में ग्रामीण पर्यटन करते हुए कुछ दिन एकांत में छुट्टियां बिताना चाहते हैं।
कैसे पहुंचें
परागपुर का करीबी रेलवे स्टेशन ऊना है जो यहां से लगभग 67 किलोमीटर दूर है। ऊना से टैक्सी के जरिए परागपुर पहुंचा जा सकता है। यहां का निकटतम एयरपोर्ट शिमला में है, जो लगभग 200 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से आने वालों के लिए परागपुर गांव तक बसें भी उपलब्ध रहती हैं।
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