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बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हिंसा से अमेरिका चिंतित, घटनाक्रम पर नजर

अमेरिकी विदेश विभाग की भाषा प्रवक्ता और लंदन इंटरनेशनल मीडिया हब की उप निदेशक मार्गरेट मैकलियोड ने कहा कि हिंसा और भेदभाव की खबरें बेहद परेशान करने वाली हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग में सेवा अधिकारी मार्गरेट मैकलियोड। / LinkedIn/Margaret MacLeod

अमेरिकी विदेश विभाग ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदू समुदाय की सुरक्षा और अधिकारों से संबंधित मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता जताई है। अमेरिकी विदेश विभाग की भाषा प्रवक्ता और लंदन इंटरनेशनल मीडिया हब की उप निदेशक मार्गरेट मैकलियोड ने कहा कि हिंसा और भेदभाव की खबरें बेहद परेशान करने वाली हैं।



मैकलियोड ने 5 दिसंबर को इंदौर (भारत) में मीडिया को बताया कि अमेरिका बांग्लादेश के घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहा है और इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए देश की अंतरिम सरकार सहित अपने सहयोगियों के साथ बातचीत कर रहा है।

उन्होंने टिप्पणी की कि हर किसी के लिए बिना किसी डर या उत्पीड़न के अपने विश्वास के साथ जीने और अभ्यास करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना हमारे साझा मूल्यों की आधारशिला है।

बांग्लादेश से हाल की खबरें एक प्रमुख हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी से जुड़ी घटनाओं के बाद हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा में चिंताजनक वृद्धि को उजागर करती हैं। इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (ISKCON) से जुड़े दास को अक्टूबर की एक रैली के दौरान कथित तौर पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के बाद देशद्रोह के आरोप में हिरासत में लिया गया था। इसके चलते व्यापक विरोध प्रदर्शन और दंगे हुए और कई इलाकों में हिंसा भड़क उठी।

चिन्मय दास अब भी जेल में हैं। पिछले दिनों बांग्लादेश की एक अदालत ने इस गिरफ्तारी के मामले में अगली सुनवाई जनवरी में तय की है। लेकिन इसके साथ ही अदालत का कहना है कि तब तक दास को जेल में ही रहना होगा। 

दास की गिरफ्तारी के बाद से ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रही हिंसा और प्रताड़ना को रोकने की मांग दुनियाभर से लगातार हो रही है। इस हिंसा को रोकने और दास की रिहाई के लिए पिछले दिनों अमेरिका में समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन भी किया था। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हिंसा का मामला ब्रिटेन की संसद में भी उठ चुका है। 
 

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