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H-1B वीजाधारकों के परिवारों को SC से बड़ी राहत, H-4 वर्क परमिट नियम बरकरार

कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय उन हजारों भारतीय मूल की महिलाओं के लिए नई उम्मीद लेकर आया है।

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अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए H-1B वीजा धारकों के जीवनसाथियों (H-4 वीजा धारकों) के लिए काम करने की अनुमति देने वाले नियम को बरकरार रखा है। अदालत ने इस नियम को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिससे ढाई लाख से ज्यादा प्रवासी परिवारों, खासतौर पर दक्षिण एशियाई महिलाओं, को बड़ी राहत मिली है।

14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने ‘सेव जॉब्स यूएसए’ (Save Jobs USA) नामक समूह की याचिका सुनने से इनकार कर दिया। यह समूह अमेरिकी तकनीकी कर्मियों का प्रतिनिधित्व करता है और 2015 में ओबामा प्रशासन द्वारा लागू किए गए उस नियम को रद्द करवाना चाहता था, जिसके तहत H-4 वीजा धारक कुछ शर्तों के तहत रोजगार के लिए आवेदन कर सकते हैं।

इससे पहले डी.सी. सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने माना था कि डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) को यह अधिकार है कि वह H-4 वीजा धारकों को रोजगार की अनुमति दे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले की समीक्षा से इनकार करने का मतलब है कि अब निचली अदालत का फैसला ही बरकरार रहेगा।

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क्या है H-1B और H-4 वीजा नियम?
H-1B वीजा 1990 में शुरू किया गया था ताकि अमेरिकी कंपनियां टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मेडिसिन जैसे क्षेत्रों में विदेशी पेशेवरों को छह साल तक के लिए नियुक्त कर सकें। इसके तहत H-1B वीजा धारकों के परिवार के सदस्य H-4 वीजा पर अमेरिका में रह सकते हैं। ओबामा प्रशासन ने 2015 में नियम बनाया था कि इनमें से कुछ को काम करने की अनुमति दी जा सकती है — खासकर तब, जब उनके पति या पत्नी ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में आगे बढ़ चुके हों।

ट्रम्प प्रशासन में खतरे में था नियम
डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में DHS ने इस नियम को खत्म करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन वह कभी लागू नहीं हुआ। बाइडन प्रशासन के आने के बाद यह प्रस्ताव पूरी तरह वापस ले लिया गया।

कम्युनिटी की प्रतिक्रिया
अजय भूटोरिया, जो बाइडन प्रशासन के पूर्व सलाहकार और प्रवासी सुधारों के समर्थक हैं, ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, यह दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए ऐतिहासिक जीत है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय हमारे समुदाय की मेहनत, योगदान और दृढ़ता की पहचान है। उन्होंने कहा कि यह फैसला लगभग दस साल लंबी कानूनी लड़ाई का अंत है और अब H-4 वीजा धारक महिलाएं अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान देना जारी रख सकेंगी। भूटोरिया ने आगे कहा, यह नीति हजारों परिवारों के लिए जीवनरेखा साबित हुई है, जिसने उन्हें आर्थिक स्थिरता और सम्मान दिया है। हालांकि राहत मिली है, लेकिन हमें सतर्क रहना होगा, क्योंकि भविष्य की सरकारें इस नियम में बदलाव कर सकती हैं।

भारतीय समुदाय को राहत
DHS के आंकड़ों के अनुसार, 2015 से अब तक 2.58 लाख से अधिक H-4 वीजा धारकों को वर्क परमिट जारी किए गए हैं, जिनमें ज्यादातर भारतीय महिलाएं हैं। यह फैसला उनके लिए न सिर्फ रोजगार का अवसर सुनिश्चित करता है, बल्कि अमेरिकी प्रवासी परिवारों के आर्थिक और सामाजिक योगदान को भी मान्यता देता है।

 

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