अमेरिका में रह रहे भारतीय इस साल दिवाली को पारंपरिक रीति-रिवाजों और अमेरिकी सामाजिक संस्कृति के संगम के रूप में मना रहे हैं। रोशनी का यह पर्व अब सिर्फ घरों और मंदिरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अमेरिकी सांस्कृतिक कैलेंडर का हिस्सा बन गया है।
सामुदायिक और सार्वजनिक आयोजन
इस साल न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को, लॉस एंजेलिस और डलास जैसे बड़े शहरों में दिवाली का जश्न बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है। टाइम्स स्क्वायर में Diwali at Times Square, सैन फ्रांसिस्को में Bhangra & Beats Night Market, लॉस एंजेलिस में “Diwali Dunz” और डलास में “Diwali Mela” जैसे आयोजन रोशनी और रंगों से जगमगा रहे हैं।
इन आयोजनों को सामाजिक उद्देश्य से भी जोड़ा गया है। लॉस एंजेलिस की “Diwali Dunz” कार्यक्रम की सह-संस्थापक अंबिका संजना ने बताया, इस बार हम दिवाली सिर्फ मनाने नहीं, बल्कि समाज की सेवा करने के लिए भी एकजुट हो रहे हैं। कार्यक्रम से मिली राशि Sevasphere नामक संस्था को दी जाएगी, जो लॉस एंजेलिस के बेघर लोगों की मदद करती है।
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अमेरिकी पहचान में दिवाली को मिली मान्यता
अब कई अमेरिकी राज्यों और शहरों में दिवाली को आधिकारिक अवकाश या सांस्कृतिक आयोजन दिवस के रूप में मान्यता दी जा रही है। न्यूयॉर्क की इन्वेस्टमेंट बैंकर प्रिय शर्मा ने कहा, कुछ साल पहले तक हम दिवाली घर के अंदर मनाते थे। अब हालात बदल गए हैं। आज यह अमेरिका के मुख्यधारा त्योहारों में शामिल हो गई है। मेरे गैर-भारतीय दोस्त भी अब दिवाली कार्यक्रमों में शामिल होते हैं।
घर-परिवार की पारंपरिक रोशनी
अमेरिका में बसे भारतीय परिवार आज भी पारंपरिक रूप से पांच दिन का पर्व— धनतेरस, छोटी दिवाली, मुख्य दिवाली (लक्ष्मी पूजा), गोवर्धन पूजा और भाई दूज— पूरे उत्साह से मनाते हैं। घर सजाए जाते हैं फूलों, रंगोली और दीयों से। लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है, और मिठाइयों व उपहारों का आदान-प्रदान होता है।
संस्कृति का संगम और पहचान की मजबूती
अमेरिकी भारतीय समुदाय अब अपनी भारतीय विरासत और अमेरिकी जीवनशैली के बीच एक सुंदर संतुलन बना रहा है। लॉस एंजेलिस के मार्केटिंग एक्जिक्यूटिव निखिल शुक्ला ने कहा, अमेरिका में दिवाली मनाने से मुझे अपने भारतीय और अमेरिकी दोनों संस्कारों को जोड़ने का मौका मिलता है। यह त्योहार मुझे अपनी जड़ों की याद दिलाता है और दोस्तों के साथ साझा करने का सुख देता है।
दिवाली आज भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए सिर्फ धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता और पहचान का उत्सव बन चुकी है। घरों की रोशनी से लेकर शहरों की गलियों तक, हर ओर प्रकाश पर्व के रूप में भारत की झलक चमक रही है।
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