हिंदी दिवस सेलीब्रेशन / images provided
इंडियाना में अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति-इंडियाना द्वारा आयोजित हिंदी दिवस 2025 समारोह में सैकड़ों हिंदी प्रेमियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में कविता, संगीत, नृत्य और देशभक्ति की भावनाओं ने पूरे सभागार को गूंजित कर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष विद्या सिंह के स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने हिंदी को केवल भाषा नहीं बल्कि सांस्कृतिक विरासत और पहचान का स्तंभ बताया। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि युवा समिति द्वारा आयोजन का संचालन इस वर्ष पूरी तरह युवा शक्ति और नेतृत्व का प्रतीक रहा।
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कार्यक्रम की शुरुआत भारत और अमेरिका के राष्ट्रगानों के साथ हुई, जिसे स्थानीय बच्चों ने प्रस्तुत किया। इसके बाद रंगारंग प्रस्तुतियों का सिलसिला शुरू हुआ, जिसमें बालगोकुलम समूह के बच्चों के नृत्य, काव्य पाठ और विभिन्न युवा कलाकारों की प्रस्तुतियाँ शामिल थीं। सबसे छोटे प्रतिभागी वर्धन राजपूत ने अपनी प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया।
हिंदी दिवस सेलीब्रेशन / image providedदेशभक्ति गीत और कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
सांस्कृतिक और विद्वत्तापूर्ण सत्रों में पूर्व अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने 'AI के युग में हिंदी सीखना' विषय पर विचार साझा किए। प्रोफेसर रश्मि शर्मा ने इंडियाना विश्वविद्यालय में हिंदी स्नातक पाठ्यक्रम के पहलुओं पर रोशनी डाली। मिडिल स्कूल के छात्र अनीश की सैक्सोफोन प्रस्तुति और 'ऐ वतन' गीत ने देशभक्ति की भावना जगाई। ओडिसी नृत्यांगना अनन्या कर की प्रस्तुति ने शास्त्रीय सौंदर्य और आध्यात्मिक गहराई का अद्भुत अनुभव दिया।
कृष्ण-सुदामा की दोस्ती पर नाटक का आयोजन
कार्यक्रम में 'कृष्ण और सुदामा की मित्रता' पर आधारित नाटिका ने दोस्ती के निश्छल और निःस्वार्थ स्वरूप को दर्शाया। श्वेता भदौरिया की कोरियोग्राफी में प्रस्तुत यह नाटिका भाव-भंगिमाओं और नाट्य अभिव्यक्ति से सजीव बनी और दर्शक भावविभोर हो उठे।
समापन में Cheerful Sakhi Dance Group की प्रस्तुति ने कार्यक्रम में समा बांधा। उपाध्यक्ष आदित्य कुमार शाही ने सभी प्रतिभागियों, आयोजकों और दर्शकों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन युवा समिति (अन्विता राजपूत, अन्वी जामनीस, एंजेल गुप्ता, अंशी तोखी और एकता गुप्ता) ने उत्कृष्ट कौशल और उत्साह के साथ किया।
यह आयोजन न केवल हिंदी भाषा का उत्सव था, बल्कि समुदाय की एकता, युवा सक्रियता और सांस्कृतिक चेतना का जीवंत उदाहरण भी साबित हुआ। सभी उपस्थितजनों ने संकल्प लिया कि हिंदी की यह ज्योति पीढ़ी दर पीढ़ी प्रज्वलित होती रहेगी।
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