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फ्लिपकार्ट के विक्रेता भारत के एंटीट्रस्ट वॉचडॉग के खिलाफ पहुंचे हाईकोर्ट, इस रिपोर्ट पर है विवाद

ये मुकदमा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की उस रिपोर्ट के बाद दायर किया गया है, जिसमें फ्लिपकार्ट और प्रतिद्वंद्वी अमेज़न पर प्रतिस्पर्धी कानूनों का उल्लंघन करने का दावा किया गया है।

फ्लिपकार्ट भारत के सबसे बड़े ई कॉमर्स खिलाड़ियों में से एक है और अमेज़न को टक्कर देता है।  / REUTERS/Dado Ruvic/Illustration

अमेरिकी ई-कॉमर्स दिग्गज कंपनी वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट पर अपना सामान बेचने वाले तीन ऑनलाइन विक्रेताओं ने भारत सरकार की एंटीट्रस्ट वॉचडॉग के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है। 

ये मुकदमा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की उस रिपोर्ट के बाद दायर किया गया है, जिसमें फ्लिपकार्ट और प्रतिद्वंद्वी अमेज़न पर प्रतिस्पर्धी कानूनों का उल्लंघन करने का दावा किया गया है। फ्लिपकार्ट भारत के सबसे बड़े ई कॉमर्स खिलाड़ियों में से एक है और अमेज़न को टक्कर देता है। 

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त में सीसीआई की जांच के बाद रिपोर्ट में पाया गया है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट, उनके कुछ विक्रेता और स्मार्टफोन ब्रांड, चुनिंदा ऑनलाइन विक्रेताओं को अनुचित प्राथमिकता देकर और कुछ लिस्टिंग को प्राथमिकता देकर स्थानीय प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन करते हैं। अमेजन और फ्लिपकार्ट ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है।

तीनों विक्रेताओं सिगफिल रिटेल, विशरी ऑनलाइन और जोनिक वेंचर्स ने कर्नाटक हाईकोर्ट में जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई रोकने के लिए अर्जी दाखिल की है। इस केस की वजह से जांच प्रक्रिया में देरी हो सकती है। यह जांच  पहली बार 2020 में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के खुदरा दुकानदारों द्वारा वॉचडॉग से शिकायत करने के बाद शुरू हुई थी। 

फ्लिपकार्ट के तीन विक्रेताओं ने अपने मुकदमों में तर्क दिया है कि जांच के दौरान उनसे अधिकारियों की मदद के लिए डेटा मांगा गया था लेकिन बाद में उन्हें आरोपी के रूप में नामित कर दिया गया जो उचित प्रक्रिया के खिलाफ है। उन्होंने इस जांच को मनमाना, अपारदर्शी और अनुचित  करार दिया। केस पर सुनवाई अब अगले सप्ताह होगी। 

बता दें कि पिछले हफ्ते अमेज़न के एक पूर्व विक्रेता ने भी सीसीआई के खिलाफ मुकदमा दायर किया और जांच को आगे बढ़ने से रोकने के लिए अंतरिम निषेधाज्ञा प्राप्त की है। उसने तर्क दिया था कि सीसीआई ने मामले में आरोपी बनाने से पहले नोटिस नहीं दिया था। 
 

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