अश्विनी वैष्णव / REUTERS/Amit Dave
भारत के मंत्रिमंडल ने 450.6 अरब रुपये यानी 5.1 अरब डॉलर की सहायता राशि को मंजूरी दी है जो निर्यातकों को समर्थन देने के लिए खर्च की जाएगी। इसमें बैंकों से लिए गए ऋणों पर 200 अरब रुपये की क्रेडिट गारंटी भी शामिल है। यह जानकारी सूचना मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 12 नवंबर को दी।
इस योजना में अगले छह वर्षों में 250.6 अरब रुपये का आवंटन किया गया है जो छोटे निर्यातकों के लिए सस्ती व्यापारिक फाइनेंसिंग, लॉजिस्टिक्स और मार्केट सपोर्ट उपलब्ध कराने पर केंद्रित होगा। यह एक्सपोर्ट प्रमोशन पैकेज अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी के असर को कम करने में मदद करेगा।
अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ ने वस्त्र, आभूषण, चमड़े के सामान और रसायनों जैसी वस्तुओं पर शुल्क को 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। इसमें रूस से भारत की तेल खरीद पर 25 प्रतिशत का दंडात्मक शुल्क भी शामिल है।
निर्यातकों ने कहा कि टेक्सटाइल, ज्वेलरी और सीफूड (खासकर झींगा) जैसे श्रम-प्रधान सेक्टर, जिनका मुनाफा सिर्फ 3 से 5 प्रतिशत के बीच होता है सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इसके कारण तमिलनाडु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात जैसे औद्योगिक केंद्रों में नौकरियां खो रही हैं।
वैष्णव ने कहा कि इस योजना में 200 अरब रुपये की क्रेडिट गारंटी प्रोग्राम भी शामिल है जो मार्च 2026 तक चलेगा। इसके तहत निर्यातकों को बिना गिरवी बैंक ऋणों पर गारंटी मिलेगी ताकि वे अपनी प्रतिस्पर्धा बढ़ा सकें और नए बाजारों में प्रवेश कर सकें।
उन्होंने बताया कि सरकार 500 मिलियन रुपये तक के ऋणों पर क्रेडिट गारंटी प्रदान करेगी। भारतीय निर्यात संगठन महासंघ यानी FIEO के अध्यक्ष एससी रल्हान ने सरकार को बताया कि भारत के लगभग 55 प्रतिशत निर्यात को वियतनाम, चीन और बांग्लादेश जैसे प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले लागत की दृष्टि से नुकसान झेलना पड़ रहा है और उन्होंने सरकार से मदद की मांग की है।
बता दें कि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा बाजार है। सिंतबर में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 12 प्रतिशत घटकर 5.43 अरब डॉलर रह गया। यह गिरावट अगस्त के अंत में 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होने के बाद आई। इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात भी लगभग 10 प्रतिशत कम हुआ।
10 नवंबर को डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि वॉशिंगटन भारत के साथ आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए एक समझौते के करीब है। नई दिल्ली को उम्मीद है कि यह समझौता दंडात्मक टैरिफ में शुरुआती कटौती का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
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