FICCI लोगो /
भारत में विनिर्माण से जुड़ी विदेशी कंपनियों और प्रवासी भारतीय निवेशकों के लिए बड़ा राहत प्रस्ताव सामने आया है। इंडस्ट्री बॉडी एफआईसीसीआई (FICCI) ने सरकार से आग्रह किया है कि वह टैक्स नियमों में उन अस्पष्टताओं को दूर करे, जिनकी वजह से विदेशी कंपनियां, खासकर प्रवासी भारतीयों के स्वामित्व वाली कंपनियां भारत में अपने उपकरण या कंपोनेंट्स स्टोर करने से हिचकती हैं।
यह मांग केंद्रीय बजट 2026–27 से पहले रखी गई है और भारत के नए आयकर अधिनियम, 2025 की एक बड़ी खामी की ओर इशारा करती है। मौजूदा प्रावधानों के तहत, अगर कोई विदेशी कंपनी भारत में अपने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स के लिए उपकरण या कच्चा माल रखती है, तो इसे 'बिजनेस कनेक्शन' माना जा सकता है। जिसका अर्थ है कि उस पर भारत में टैक्स लग सकता है।
प्रवासी उद्यमी निवेश से पीछे हट रहे
एफआईसीसीआई के अनुसार, इस अस्पष्टता के कारण कई वैश्विक निवेशक—खासकर अमेरिका, ब्रिटेन और दक्षिण-पूर्व एशिया में बसे भारतीय मूल के उद्यमी—भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क को पूरी तरह से जोड़ने से बच रहे हैं।
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उद्योग प्रतिनिधियों का कहना है कि सिलिकॉन वैली के चिप सप्लायर्स से लेकर ब्रिटेन के एयरोस्पेस पार्ट निर्माताओं तक, कई प्रवासी भारतीय उद्यमी भारत में मशीनरी या कच्चा माल रखने से हिचकते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि इससे भारत में टैक्स देनदारी उत्पन्न हो सकती है।
एफआईसीसीआई ने कहा, 'विदेशी कंपनियां, जिनमें प्रवासी भारतीयों की कंपनियां भी शामिल हैं, टैक्स की अस्पष्टता के कारण भारत में अपनी एडवांस्ड मशीनरी तैनात करने से बच रही हैं। इससे भारत की विनिर्माण क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा दोनों प्रभावित हो रही हैं।'
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