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डिपोर्टेशन में दखल न दे सुप्रीम कोर्ट, ट्रंप ने 1798 के कानून का दिया हवाला

न्याय विभाग ने कहा कि यह मुकदमा यह तय करेगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मामलों में फैसला लेने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है या न्यायपालिका के पास।

ट्रंप द्वारा इस कानून के इस्तेमाल को अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन ने चुनौती दी है। / REUTERS/Evelyn Hockstein/File

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अवैध विदेशियों के निर्वासन में वह दखल न दे। ट्रंप ने 1798 के कानून के तहत वेनेजुएला के कथित गैंग मेंबर्स को तुरंत निर्वासित करने की उनकी योजना को मंजूरी देने का भी कोर्ट से अनुरोध किया है।

न्याय विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका में वाशिंगटन स्थित जिला जज जेम्स बोआसबर्ग के 15 मार्च के फैसले को पलटने की मांग की जिसने अस्थायी रूप से इन निर्वासनों पर रोक लगा दी थी। इसमें ट्रंप द्वारा एलियन एनिमीज एक्ट के उपयोग को चुनौती दी गई है। कहा गया है कि इस कानून को आमतौर पर युद्धकाल में लागू किया जाता है।  

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न्याय विभाग ने कहा कि यह मुकदमा यह तय करेगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मामलों में फैसला लेने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है या न्यायपालिका के पास। न्याय विभाग ने अपनी याचिका में कहा है कि इस सवाल का जवाब संविधान में स्पष्ट लिखा, वह है राष्ट्रपति। राष्ट्र इस मामले में किसी और निर्णय का जोखिम नहीं उठा सकता।

अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन ने ट्रंप द्वारा इस कानून के इस्तेमाल को चुनौती दी है। इसके तहत कथित रूप से ट्रेन डे अरागुआ गैंग के सदस्यों को एल सल्वाडोर भेजने की योजना बनाई गई है। यूनियन का तर्क है कि इस कानून से प्रवासियों को उचित कानूनी प्रक्रिया का अधिकार नहीं मिलता।  

न्याय विभाग का कहना है कि प्रशासन ने गैंग के सदस्यों की पहचान एक कठोर प्रक्रिया के तहत की है। कोर्ट ने याचिका पर 1 अप्रैल तक जवाब मांगा है।  

कोलंबिया डिस्ट्रिक्ट की अपीलीय अदालत ने जस्टिस बोआसबर्ग के अस्थायी प्रतिबंध को बरकरार रखा है जिससे यह मामला और भी पेचीदा हो गया है। ट्रंप प्रशासन को न्यायपालिका से लगातार झटके मिल रहे हैं क्योंकि कई अदालतों ने उनके कई नीतिगत फैसलों पर रोक लगा दी है।  

ट्रंप ने 15 मार्च को एलियन एनिमीज एक्ट का इस्तेमाल करके ट्रेन डे अरागुआ गैंग के सदस्यों को तुरंत निर्वासित करने का आदेश दिया। यह कानून द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी, इतालवी और जर्मन प्रवासियों को हिरासत में लेने के लिए इस्तेमाल किया गया था।  

आव्रजन अधिकारियों की हिरासत में रखे गए वेनेजुएला के कुछ प्रवासियों ने मुकदमा दायर कर इस आदेश को रोकने की मांग की है। उनकी दलील है कि यह कानून केवल युद्धकाल में लागू किया जा सकता है जबकि अमेरिका ने न तो युद्ध की घोषणा की है और न ही उस पर हमला हुआ है।  

जस्टिस बोआसबर्ग ने निर्वासन पर अस्थायी रोक लगा दी है लेकिन ट्रंप प्रशासन ने इससे पहले ही वेनेजुएला के प्रवासियों को लेकर दो विमान एल सल्वाडोर भेज दिए थे। वहां 238 प्रवासियों को टेररिज्म कन्फाइनमेंट सेंटर में रखा गया।  

जस्टिस बोआसबर्ग यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या ट्रंप प्रशासन ने उनके आदेश की अवमानना की और उड़ानों को वापस नहीं बुलाया।  न्याय विभाग के वकीलों का कहना है कि जब तक लिखित आदेश जारी हुआ, तब तक उड़ानें अमेरिकी हवाई क्षेत्र से बाहर जा चुकी थीं, इसलिए उन्हें वापस बुलाने की जरूरत नहीं थी। 

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