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विकसित भारत का निर्माण : एआई, तंत्रिका विज्ञान और भारत के कल के लिए एक नजरिया

मैकिन्से की एक रिपोर्ट बताती है कि AI भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की दक्षता में 25% तक सुधार कर सकता है जिससे सरकार को सालाना 1.5 ट्रिलियन रुपये बचाने में मदद मिलेगी जबकि AI संचालित उपकरण कर संग्रह को 30% तक सुव्यवस्थित कर सकते हैं।

सांकेतिक तस्वीर / Rajesh Mehta

भारत एक प्रौद्योगिकी क्रांति के शिखर पर खड़ा है और तकनीक के सहारे 'विकसित भारत' को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है। यहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मानव-कंप्यूटर इंटरैक्शन (HCI) मुख्य तत्व होंगे जो बदलाव को आकार देंगे। जैसा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोहराया है कि अगले दशक में भारत की रणनीति की दिशा प्रौद्योगिकी और एआई केंद्रित होनी चाहिए और समावेशी विकास पथ में प्रौद्योगिकी सबसे आगे होनी चाहिए। अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई का कहना है कि भारत एक बड़ी निर्यात अर्थव्यवस्था होगा और AI से बहुत फायदा होगा। वहीं, जबकि माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने टिप्पणी की कि भारत न केवल एक उभरता हुआ प्रौद्योगिकी केंद्र है, बल्कि एक वैश्विक नेता भी है। डिजिटल नवाचार को बढ़ावा देकर भारत भविष्य को आकार देगा।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच AI दौड़ तेज हो रही है। अमेरिका नवाचार में आगे है जबकि चीन सरकार प्रायोजित पहलों और बड़े पैमाने पर डेटा के माध्यम से आगे बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में भारत अपने विशाल प्रतिभा पूल, एक गतिशील स्टार्टअप वातावरण और डिजिटल परिवर्तन के पीछे सरकार के समर्थन से एक गंभीर चुनौती के रूप में सामने आ रहा है। 

ऐसे में एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि AI के अगले चरण में क्या क्रांति हो सकती है? इसका उत्तर इस बात में निहित है कि AI सिस्टम मानव मस्तिष्क की प्रक्रियाओं को कैसे दोहराता है, विशेष रूप से निर्णय लेने के दौरान 'मानवीय अनिश्चितता' की नकल करने में।

मानव मस्तिष्क की अनिश्चितताओं का पता लगाने और इन घटनाओं के परिणामों की भविष्यवाणी करने की क्षमता विशेष रूप से अधिक जटिल वातावरण में प्रभावी निर्णय लेने के लिए आवश्यक है। असंगठित तंत्रिका सहसंबंधों पर एक अध्ययन यह जांच करता है कि मस्तिष्क के विभिन्न हिस्से अनिश्चितता पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं और निर्णय लेने की रणनीतियों को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए मस्तिष्क का दाहिना अग्र भाग वित्तीय क्षेत्रों में अनिश्चितता के दौरान अन्वेषण को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मशीन लर्निंग-आधारित मॉडल, जो 'अनिश्चित' परिस्थितियों में बाजार के रुझान की भविष्यवाणी करने के लिए तैयार किए गए हैं, भारतीय वित्तीय क्षेत्र की दक्षता में 15% से अधिक सुधार कर सकते हैं और उद्योग की कुल लागत को लगभग ₹3.5 ट्रिलियन प्रति वर्ष कम कर सकते हैं।

भारत में AI का प्रभाव पहले से ही स्पष्ट है और यह तो बस शुरुआत है। NASSCOM की एक रिपोर्ट के अनुसार, AI-संचालित डायग्नोस्टिक टूल ने रोग संबंधी विकारों के निदान के लिए आवश्यक समय को लगभग 40% कम कर दिया है जिससे शुरुआती हस्तक्षेप के माध्यम से 200,000 से अधिक लोगों की जान बचाई गई है। कृषि-तकनीक में एआई-आधारित मॉडल जो मौसम के पैटर्न की भविष्यवाणी करते हैं और फसल की पैदावार को अनुकूलित करते हैं, उनसे कृषि उत्पादकता में 20% की वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद में अतिरिक्त ₹2.5 ट्रिलियन का योगदान होगा।

इन विकासों के समानांतर एलन मस्क के नेतृत्व में न्यूरालिंक द्वारा विकसित किए जा रहे ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) एक तकनीकी क्रांति पैदा करने के लिए तैयार हैं। भारत में विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए BCI में इसी तरह की प्रगति की जा रही है। केरल में एक पायलट प्रोजेक्ट से पता चला कि BCI गंभीर मोटर हानि वाले लोगों के लिए संचार क्षमताओं में 80% तक सुधार कर सकता है। AI सिस्टम में तंत्रिका विज्ञान को एकीकृत करके भारत अधिक मजबूत और मानव-जैसे निर्णय लेने वाले मॉडल बना सकता है। उदाहरण के लिए IIT दिल्ली के एक अध्ययन में पाया गया कि अनुकूली BCI सिस्टम का उपयोग करने वाले कर्मचारियों ने मानसिक थकान में 40% की कमी के साथ उत्पादकता में 25% की वृद्धि का अनुभव किया।

मैकिन्से की एक रिपोर्ट बताती है कि AI भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की दक्षता में 25% तक सुधार कर सकता है जिससे सरकार को सालाना 1.5 ट्रिलियन रुपये बचाने में मदद मिलेगी जबकि AI संचालित उपकरण कर संग्रह को 30% तक सुव्यवस्थित कर सकते हैं। 2030 तक भारत का लक्ष्य 500 अरब डॉलर के अनुमानित बाजार आकार के साथ AI में वैश्विक नेता बनना है। यह वृद्धि अनुसंधान एवं विकास में निरंतर निवेश से प्रेरित होगी। 2024-2025 के बजट में AI अनुसंधान के लिए 100 अरब रुपये से अधिक आवंटित किया जाएगा। सभी शैक्षिक स्तरों पर पाठ्यक्रम में AI और HCI (ह्युमन कंप्यूटर इंटरेक्शन) को शामिल करने की भारत सरकार की पहल का लक्ष्य 2030 तक 100 मिलियन छात्रों को आवश्यक कौशल से लैस करना है। यानी एक ऐसे 'विकसित भारत' के लिए भविष्य बनाना जहां प्रौद्योगिकी बेहतरी के लिए एक ताकत के रूप में कार्य करती है।

(राजेश मेहता एक अग्रणी अमेरिकी-भारत विशेषज्ञ हैं जो मार्केट एंट्री, इनोवेशन, जियोपॉलिटिक्स और पब्लिक पॉलिसी जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। रोहन हुंडिया, यूनाडा लैब्स के सीईओ और प्रबंध निदेशक, एक अग्रणी तकनीकी संस्थापक हैं जो AI और HCI में अत्याधुनिक नवाचारों को आकार दे रहे हैं)

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