भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि वह यूक्रेन में शांति चाहते हैं और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप के इस सबसे घातक संघर्ष को समाप्त करने में मदद के लिए तैयार हैं।
पुतिन ने वोल्गा के तट पर स्थित कजान शहर की यात्रा का निमंत्रण स्वीकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया और रूस-भारत के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को रेखांकित किया।
मोदी ने पुतिन को उनकी मजबूत दोस्ती के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि भारत महसूस करता है कि यूक्रेन में संघर्ष का शांतिपूर्ण ढंग से समाधान होना चाहिए। मोदी ने कहा कि हम रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर लगातार संपर्क में हैं। हमारा मानना है कि समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीकों से ही होना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा कि हम शांति और स्थिरता की जल्द बहाली का समर्थन करते हैं। हमारे सभी प्रयास मानवता को प्राथमिकता देते हैं। भारत आने वाले समय में हरसंभव सहयोग के लिए तैयार है। हम पुतिन के साथ इन मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।
Had an excellent meeting with President Putin. The bond between India and Russia is deep-rooted. Our talks focussed on how to add even more vigour to our bilateral partnership across diverse sectors. pic.twitter.com/5KCjqSO0QS
— Narendra Modi (@narendramodi) October 22, 2024
संवाददाताओं द्वारा शांति की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर पुतिन ने कहा कि मास्को पूर्वी यूक्रेन के उन चार क्षेत्रों को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा जो अब रूस का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि मास्को यूरोप में अपने दीर्घकालिक सुरक्षा हितों को ध्यान में रखना चाहता है। दो रूसी सूत्रों का कहना है कि मॉस्को में संभावित युद्धविराम समझौते को लेकर चर्चा तेज हो रही हैं, हालांकि अभी तक कुछ भी ठोस नहीं है।
बता दें कि रूस क्रीमिया सहित यूक्रेन के लगभग पांचवें हिस्से को नियंत्रित करता है जिस पर उसने 2014 में कब्जा कर लिया था। इसमें डोनबास का लगभग 80%
हिस्सा और ज़ापोरिज़्ज़िया व खेरसॉन क्षेत्रका 70% से अधिक इलाका शामिल है।
रूस को उम्मीद है कि इस ब्रिक्स समिट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित 22 नेता भाग लेंगे। ये नेता दुनिया की आबादी के 45% और वैश्विक अर्थव्यवस्था के 35% हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। पुतिन का प्रयास है कि यह ब्रिक्स समिट दुनिया में गैर-पश्चिमी देशों बढ़ते दबदबे को प्रदर्शित करे।
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